कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का सोमवार को समापन हो गया. इस दौरान राहुल गांधी ने श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में जनसभा को संबोधित किया. इस दौरान राहुल गांधी ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा. राहुल ने जम्मू कश्मीर को अपना घर बताया. राहुल गांधी ने कहा कि मुझे सिक्योरिटी वालों ने कहा था कि कश्मीर में पैदल यात्रा न करूं, लेकिन मैंने सोचा कि ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, मेरी सफेद टी शर्ट का रंग लाल होगा. लेकिन कश्मीर के लोगों ने मुझे हैंड ग्रेनेड नहीं दिया, बल्कि खुले दिल से गले लगाया. राहुल गांधी ने इस दौरान इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या का भी जिक्र किया. आईए जानते हैं, राहुल गांधी के संबोधन की 10 बड़ी बातें…
1.देश की शक्ति हमारे साथ थी- राहुल
राहुल गांधी ने कहा, बर्फ में खड़े हैं, मगर किसी को सर्दी नहीं लग रही है. आप बारिश में खड़े हैं, लेकिन कोई भीगा नहीं. गर्मी में आपको गर्मी नहीं लगी. सर्दी में सर्दी नहीं लग रही. क्योंकि देश की शक्ति आपके साथ है.
2- प्रियंका की बात सुनकर आंसू आ गए- राहुल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, प्रियंका ने मेरे मैसेज के बारे में बताया. वैसे होता नहीं है, लेकिन मेरे आंखों में आंसू आ गए. प्रियंका गांधी ने जनसभा को संबोधित करते हुए बताया कि कश्मीर पहुंचने से पहले राहुल गांधी ने उन्हें और सोनिया गांधी को फोन कर बताया था कि उन्हें अजीब महसूस हो रहा है. उन्हें ऐसा लग रहा है कि वे अपने घर जा रहे हैं. जब वे कश्मीर के लोगों से मिलते हैं तो उनकी आंखों में आंसू होते हैं. सीने में दर्द होता है.
राहुल ने कहा, कन्याकुमारी से हम चलें. पूरे देश में पैदल चले. सच बताऊं अजीब लगेगा. राहुल गांधी ने बताया कि वे काफी सालों से रोज 8-10 किलोमीटर दौड़ते हैं. ऐसे में उन्हें लगा था कि कन्याकुमारी से कश्मीर चलने में इतनी मुश्किल नहीं होगी. यह यात्रा आसान रहेगी. उन्होंने कहा कि थोड़ा सा अहंकार आ गया था. राहुल ने कहा, मेरे कॉलेज में फुटबॉल खेलने के दौरान घुटने में चोट लगी थी. कन्याकुमारी से यात्रा शुरू हुई, तो कुछ दिन बाद घुटने में दर्द होने लगा, बहुत दिक्कत आई. पूरा अहंकार उतर गया. मैं सोचने लगा कि क्या मैं पूरी यात्रा कर पाऊंगा या नहीं. जो मैंने सोचा था, आसान होगा, वह काफी मुश्किल हो गया. लेकिन फिर मैंने किसी न किसी तरह से इस काम को पूरा कर दिया.
LIVE: #BharatJodoYatraFinale rally in Srinagar, J&K. https://t.co/aj2Go6S7I9
— Congress (@INCIndia) January 30, 2023
3- ‘बच्ची के मैसेज से दर्द हुआ खत्म’
राहुल गांधी ने कहा, यात्रा के दौरान बहुत कुछ सीखने को मिला. दर्द सह लिया. रास्ते में एक दिन दर्द हो रहा था, मैं सोच रहा था कि 6-7 घंटे और चलने हैं और मुझे लग रहा था कि मुश्किल है. तभी छोटी बच्ची आई, मेरे पास. उसने कहा कि मैंने तुम्हारे लिया लिखा, लेकिन इसे बात में पढ़ना. फिर वो गले लगकर भाग गई. मैंने सोचा पढ़ता हूं , तो उसने लिखा था कि मुझे दिख रहा है कि आपके घुटने में दर्द है. आपके चेहरे पर दिख रहा है कि दर्द है. मैं आपके साथ कश्मीर नहीं चल सकती. क्योंकि मेरे माता पिता मुझे नहीं जाने दे रहे. लेकिन मैं दिल से आपके साथ चल रही हूं, क्योंकि मुझे पता है कि आप अपने लिए नहीं बल्कि मेरे लिए चल रहे हैं. इसके बाद दर्द गायब हो गया.
4- बच्चों को देखकर जैकेट न पहनने का फैसला किया- राहुल
राहुल ने कहा, उसी समय सर्दी भी बढ़ रही थी. सुबह का समय था. चार बच्चे मेरे पास आए. वे भिखारी थे. उनके शरीर पर कपड़े नहीं थे. शायद मजदूरी करते थे. ये मैं चीजें देखता नहीं हूं. मैंने उन्हें गले लगाया. मैं घुटनों पर बैठा, उन्हें ठंड लग रही थी, वे कांप रहे थे. शायद उन्हें खाना नहीं मिला था. तभी मैंने सोचा कि अगर ये स्वेटर और जैकेट नहीं पहन रहे, तो मुझे भी नहीं पहननी चाहिए. लेकिन मुझे झिझक हो रही थी. मैं चल रहा था, एक हमारे साथ व्यक्ति थे, उन्होंने मुझसे कहा कि ये बच्चे गंदे हैं. उनके पास आपको नहीं जाना चाहिए. लेकिन मैंने उनसे कहा कि ये आपसे और मुझसे दोनों से साफ हैं.
5- महिलाओं ने बताया अपना दर्द- राहुल गांधी
राहुल गांधी ने कहा, जब मैं चल रहा था, बहुत सारी महिलाएं रो रही थीं. ये महिलाएं इमोशनल थीं, मुझसे मिलकर रो रही थीं. कई महिलाएं ऐसी भी थीं, जिन्होंने बोला कि उनके साथ रेप हुआ है, उनका उत्पीड़न हुआ है. जब मैं उनसे बोलता था कि मैं पुलिस से कहूं, तो वे कहती थीं कि पुलिस को मत बताइये. हम चाहते थे कि आपको बताएं, लेकिन आप पुलिस को मत बताएं. इससे हमारी और मुसीबतें पैदा हो जाएंगी.
6- क्या है कश्मीरियत?
राहुल ने बताया, जब हम कश्मीर आ रहे थे, तभी हम सोच रहे थे कि हम नीचे से ऊपर जा रहे हैं. सालों पहले हमारे रिश्तेदार ऊपर से नीचे आए. कश्मीर से इलाहाबाद गए. इसलिए मुझे लग रहा था कि मैं वापस अपने घर आ रहा हूं. घर मेरे लिए जब से छोटा था, तभी से सरकारी घरों में रहा हूं. मेरे पास कभी घर नहीं था. मेरे लिए घर एक स्ट्रक्चर नहीं है, यह सिर्फ इमारत थी. मेरे लिए घर एक सोच है. जीने का तरीका है. जिस चीज को आप कश्मीरियत कहते हैं, उसे मैं घर मानता हूं. ये कश्मीरियत है क्या? ये शिवजी की सोच है, एक तरफ और गहराई में जाएंगे, तो शून्यता कहा जा सकता है. अपने आप पर अपने अहंकार पर, अपने विचारों पर आक्रमण करना. दूसरी तरफ इस्लाम में फना कहा जाता है. सोच वही है. इस्लाम में फना का मतलब अपने ऊपर आक्रमण, अपनी सोच पर आक्रमण. जो हम किला बना देते हैं, मैं ये हूं. मेरे पास ये है. उसी किले पर आक्रमण कर शून्यता है. वह फना है. इस धरती पर दो विचारधाराएं हैं, इनके बीच सालों से रिश्ता है. इसे हम कश्मीरियत कहते हैं. लोगों को जोड़ना, दूसरों पर आक्रमण न करना, अपनी कमी देखना कश्मीरियत है.
7- ‘मेरे परिवार ने गंगा में कश्मीरियत डाली’
राहुल ने आगे कहा, मेरा परिवार कश्मीर से गंगा की ओर गया था. इलाहाबाद संगम के किनारे. वहां पास में हमारा घर है. तो जब यहां से वे वहां गए, उन्होंने कश्मीरियत की सोच को गंगा में डाला था. उन्होंने उत्तर प्रदेश में उस सोच को फैलाया था. इसे ही गंगा जमुना तहजीब कहा जाता है. मेरे परिवार ने छोटा सा काम किया, जो आपने उन्हें सिखाया. इसमें बौद्ध धर्म भी शामिल है. उनके पास भी शून्यता की सोच है.
8- मेरी टी शर्ट लाल कर दो – राहुल गांधी
राहुल ने कहा, मुझे सिक्योरिटी वालों ने कहा था कि आप पूरे हिंदुस्तान में चल सकते हो. जम्मू में भी चल सकते हो. लेकिन आखिरी जो चार दिन हैं, कश्मीर में आपको, गाड़ी से चलना चाहिए. वेणुगोपाल जी ने कहा और अन्य लोगों ने कहा कि तीन चार दिन प्रशासन ने शायद डराने के लिए कहा कि शायद आप पैदल चलेंगे, तो आपके ऊपर ग्रेनेड फेंका जाएगा. मैंने सोचा कि ऐसे करते हैं कि मैं अपने घर वापस जा रहा हूं. यहां चार दिन पैदल चलूंगा. अपने घर के लोग हैं, उनके बीच में चलूंगा. मैंने सोचा कि जो मुझसे नफरत करते हैं, क्यों न उनकों मौंका दूं कि मेरी सफेद टीशर्ट का रंग लाल कर दें. क्योंकि मेरे परिवार ने मुझे सिखाया है, गांधीजी ने मुझे सिखाया है कि अगर जीना है, तो डरे बिना जीना है, नहीं तो नहीं जीना है. मैंने सोचा चार दिन चलूंगा. बदल दो मेरी टीशर्ट का रंग. लेकिन मैंने जो सोचा था, वही हुआ. लोगों ने मुझे हैंड ग्रेनेड नहीं दिया, बल्कि दिल खोलकर प्यार दिया. मुझे खुशी हुई कि उन सब ने मुझे अपना माना.
9- मोदी-शाह ने हिंसा को नहीं सहा- राहुल
राहुल ने कहा, यहां जो सेना के लोग, सीआरपीएफ के लोग काम करते हैं, उनसे मैं कुछ कहना चाहता हूं. मैं कश्मीर के सभी लोगों से कहना चाहता हूं. जवानों के परिवारों से कहना चाहता हूं कि मैं हिंसा को समझता हूं. मैं हिंसा सही है. मैंने हिंसा देखी है. जो हिंसा नहीं सहता, जिसने हिंसा नहीं देखी. उन्हें ये बात समझ नहीं आएगी. जैसे मोदी हैं, अमित शाह हैं, संघ के लोग हैं, उन्होंने हिंसा नहीं देखी, न हिंसा सही. मैं गारंटी देकर कहता हूं कि जैसे मैं चार दिन चला, बीजेपी के नेता ऐसे नहीं चले. क्योंकि ये लोग डरते हैं.
उन्होंने बताया, मैं जब 14 साल का था. स्कूल में था. क्लास चल रही थी. मेरी एक टीचर आईं, उन्होंने बताया कि राहुल तुम्हें प्रिंसिपल बुला रहे हैं. मैंने सोचा कि मैंने कोई गलती की है. लेकिन जब मैं चल रहा था, तभी उस टीचर को देखकर मुझे कुछ अजीब लगा. जब मैं प्रिंसिपल के रूम में पहुंचा, उन्होंने बताया कि राहुल तुम्हारे घर से कॉल है. मुझे समझ आ गया कि कुछ गलत हो गया है. मैंने फोन कान पर लगाया, मेरी मां के साथ एक औरत काम करती हैं, वे चिल्ला रही थीं, दादी को गोली मार दी, दोदी को गोली मार दी. राहुल ने कहा कि ये बात अमित शाह और पीएम मोदी को समझ नहीं आएगी. लेकिन ये बात कश्मीर के लोगों को समझ आएगी. ये बात सीआरपीएफ और आर्मी के लोगों और उनके घरवालों को समझ आएगी.
10- मैंने हिंसा को सहा, मैं इसे समझता हूं- राहुल
राहुल ने कहा, जो हमने हिंसा देखी, इसे हम दूसरी तरह से देखते हैं. ये आप सबके लिए टेलीफोन है. हमारे लिए ये टेलीफोन नहीं है. जब मैं अमेरिका में था. फिर से एक फोन आया. 21 मई तारीख थी. फोन आया, जैसे पुलवामा में हमारे सैनिक मरे थे, उनके घर टेलीफोन आया होगा. कश्मीर के लोगों के पास टेलीफोन आया होगा. सेना के लोगों के पास टेलीफोन आया होगा. ऐसा ही ये फोन था. मेरे पापा के दोस्त ने कहा कि बुरी खबर है. मैंने कहा, पापा मर गए. उन्होंने कहा- हां.
राहुल गांधी ने कहा कि जो लोग हिंसा करवाते हैं, वे उस दर्द को नहीं समझते हैं. मैं इस दर्द को समझता हूं. मैंने कई बार इस दर्द को समझा, महसूस किया. पुलवामा हमले में जो शहीद हुए, उनके घरवालों पर क्या बीता, ये बात प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह नहीं समझ सकते. मैं समझ सकता हूं. राहुल गांधी ने बताया कि जब वे अमेरिका में थे, तब उन्हें एक फोन कॉल आया और बताया गया कि उनके पिता की हत्या कर दी गई. मैं चाहता हूं कि ऐसे फोन कॉल किसी जवान के घर पर जाने बंद हो जाएं.