मुस्लिम देश में इस्लाम पर सवाल पूछने पर 3 को जेल, भिड़ गए शिया-सुन्नी

राष्ट्रीय

इस्लामिक देश बहरीन में इस्लाम पर सवाल उठाना तीन लोगों को भारी पड़ गया. बहरीन पब्लिक प्रोसेक्यूटर ने इस्लामी शिक्षा पर बहस करने के कारण तीन लोगों को साल भर की जेल की सजा सुनाई है. रिपोर्ट के मुताबिक, पब्लिक प्रोसेक्यूटर ने बयान जारी करते हुए कहा है कि तीनों इस्लामी विश्वास की नींव का उल्लंघन करने और पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने के दोषी पाए गए.

तीनों अभियुक्त ताजदीद नामक एक स्थानीय कल्चर सोसाइटी का हिस्सा हैं. ताजदीद का कहना है कि हमारी सोसाइटी इस्लाम की पवित्र पुस्तक कुरान या पैगंबर मोहम्मद की शिक्षाओं पर सवाल नहीं उठाता है. बल्कि, हम धार्मिक स्कॉलर और नए मौलवियों की राय पर सवाल उठाते हैं. लेकिन बहरीन के प्रमुख शिया मौलवियों सहित आलोचकों ने ताजदीद सोसाइटी पर इस्लाम की नींव पर हमला करने का आरोप लगाया है.

इस्लामी विश्वास के उल्लंघन के दोषीः सरकारी वकील

पब्लिक प्रोसेक्यूटर के कार्यालय ने कहा है कि तीनों प्रतिवादी इस्लाम के पारंपरिक मिथकों को खारिज करके इस्लाम धर्म की नींव का उल्लंघन करने और पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने के दोषी हैं. हालांकि, कार्यालय की ओर से प्रतिवादियों का नाम नहीं बताया गया है. लेकिन स्थानीय कार्यकर्ताओं ने प्रतिवादियों के रूप में जलाल अल-कसाब, रेद्दा रजाब और मोहम्मद रजाब की पहचान की है. रिपोर्ट के मुताबिक, मोहम्मद रजाब फिलहाल जमानत पर ब्रिटेन में हैं.

बहरीन की सरकारी समाचार एजेंसी के अनुसार, पिछले महीने साइबर क्राइम ने तीन प्रतिवादियों को क्रिमिनल कोर्ट भेजा था. इन पर जानबूझकर इस्लामिक धर्म की बुनियादी बातों को ठेस पहुंचाने का आरोप है. तीनों सोशल मीडिया पर ब्लॉग पोस्ट और वीडियो के माध्यम से इस्लामिक परंपरा पर सवाल उठाते थे.

बहरीन में बवाल

तीनों आरोपियों को सजा सुनाए जाने के बाद बहरीन में बवाल मचा हुआ है. इस मामले ने शिया और सुन्नी समुदाय को विभाजित कर दिया है. वर्तमान में बहरीन में सुन्नी राजशाही शासन है. इससे पहले 2011 में भी सुन्नी राजशाही के खिलाफ शिया समुदाय के लोगों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया था. नौबत यहां तक आ गई थी कि बहरीन को इस विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से मदद लेनी पड़ी थी. हाल के वर्षों में भी बहरीन में कई बार अशांति का माहौल देखा गया है.