एक के बाद एक लगे 5 झटके, अब तो चावल भी महंगा!

व्यापार

देश की जनता को हाल-फिलहाल महंगाई के मोर्चे पर राहत मिलने की उम्मीद कम ही दिखाई दे रही है. रिजर्व बैंक (RBI) और केंद्र सरकार (Central Govt) लगातार महंगाई को काबू करने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन इसमें सफलता बेहद सीमित मिल पा रही है. आज एमपीसी की बैठक के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने खुद स्वीकार किया कि आने वाले समय में महंगाई की दर नरम पड़ने के बाद भी ऊंची बनी रहेगी. इस बीच यह सप्ताह महंगाई के मोर्चे पर और बुरा साबित हुआ है. इस सप्ताह के दौरान पहले ही सीएनजी, पीएनजी, दही , चावल जैसी चीजों के दाम बढ़ चुके हैं. अब रेपो रेट बढ़ने के बाद होम लोन समेत अन्य लोन की ईएमआई भी बढ़ने वाली है.

इतनी रहने वाली है आने वाले समय में महंगाई

महंगाई की बात करें तो रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत में चीजों के दामों पर ग्लोबल फैक्टर्स का असर हो रहा है. दुनिया भर में महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर है. भारत में महंगाई की ऊंची दरों का सामना करना पड़ रहा है. जून लगातार छठा ऐसा महीना रहा, जब खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक के अपर लिमिट से ज्यादा रही. भू-राजनीतिक घटनाक्रमों में तेजी से आ रहे बदलाव के बीच ग्लोबल फूड प्राइसेज में नरमी, यूक्रेन से गेहूं के निर्यात की पुन: शुरुआत, घरेलू बाजार में खाने के तेल के दाम में नरमी और अच्छे मानसून के कारण खरीफ फसलों की बुवाई में तेजी से आने वाले समय में महंगाई के मोर्चे पर राहत मिल सकती है. हालांकि इसके बाद भी खुदरा महंगाई की दर ऊंची बनी रहने वाली है. रिजर्व बैंक के अनुसार, 2022-23 में महंगाई की दर रिजर्व बैंक के अपर लिमिट से ऊपर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान है. सितंबर तिमाही में इसकी दर 7.1 फीसदी, दिसंबर तिमाही में 6.4 फीसदी और मार्च 23 तिमाही में 5.8 फीसदी रहने का अनुमान है.

अब समाप्त हुआ सस्ते कर्ज का दौर

रिजर्व बैंक की एमपीसी की बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि अगस्त बैठक में रेपो रेट को 0.50 फीसदी बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. पहली बार मई में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ाकर 4.40 फीसदी किया था. इसके बाद जून की बैठक में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 0.50 फीसदी बढ़ाया. अगस्त में फिर से रेपो रेट को 0.50 फीसदी बढ़ाया गया. इस तरह तीन बार में रेपो रेट को 1.40 फीसदी बढ़ाया जा चुका है. कोरोना महामारी के बाद रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) ने अर्थव्यवस्था (Economy) को रफ्तार देने के लिए लगातार रेपो रेट को कम किया था. रेपो रेट कम होने लगा तो बैंकों ने भी ब्याज दरें कम की थी. इस तरह ब्याज दरें कई दशक के सबसे निचले स्तर पर आ गई थीं. करीब दो साल तक रेपो रेट 4 फीसदी पर स्थिर रहा और इस कारण दो साल तक लोगों को सस्ते में कर्ज मिलता रहा. हालांकि महंगाई ने सस्ते कर्ज का दौर समाप्त कर दिया.

इतना बढ़ने वाला है ईएमआई का बोझ

पिछले 4 महीने में अब तक रेपो रेट 1.40 फीसदी बढ़कर 5.40 फीसदी हो चुका है. रेपो रेट में शुरू हुई बढ़ोतरी का असर बैंकों, नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFC) और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (HFC) पर भी होने लगा है. पिछले 2-3 महीने के दौरान लगभग सारे बैंक, एनबीएफसी और एचएफसी ब्याज दरें बढ़ा Rate चुके हैं. रेपो रेट में ताजी बढ़ोतरी के बाद ब्याज दरें और बढ़ने की आशंका मजबूत हो गई है. अभी तक के हाइक के देखें तो रेपो रेट 1.40 फीसदी बढ़ा है. बैंक भी इसी अनुपात में लोन की ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं. अब इस बार रेपो रेट 0.50 फीसदी बढ़ा है तो बैंकों की ब्याज दरें भी इसी अनुपात में बढ़ेंगी. अब मान लीजिए कि आपने 20 साल के लिए 30 लाख रुपये का होम लोन (Home Loan) लिया हुआ है. अगर रेपो रेट की तर्ज पर आपके बैंक ने भी ब्याज को बढ़ाया तो इसकी दर 7.55 फीसदी से बढ़कर 8.05 फीसदी हो जाएगी. इससे आपकी ईएमआई (EMI) 24,260 रुपये से बढ़कर 25,187 रुपये हो जाएगी. इसका मतलब हुआ कि आपकी ईएमआई हर महीने 927 रुपये बढ़ जाएगी.

लगातार बढ़ रही हैं सीएनजी की कीमतें

इस सप्ताह देश के कई शहरों में सीएनजी के दाम बढ़े हैं. सरकारी कंपनी गेल ने इस सप्ताह सोमवार को नेचुरल गैस की दरें संशोधित की थी. इसके बाद सिटी गैस कंपनियों को मिलने वाली सप्लाई की कीमत 18 फीसदी बढ़कर 10.5 डॉलर प्रति mmBtu हो गई है. इसका असर विभिन्न शहरों में सीएनजी की कीमतों पर देखने को मिला. ग्रीन गैस लिमिटेड ने लखनऊ में सीएनजी की कीमतें 5.3 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ा दी, जिसके बाद नई दरें 96.10 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गईं. वहीं महानगर गैस लिमिटेड ने सीएनजी की कीमतें 6 रुपये प्रति किलो बढ़ा दी. यह इस साल अप्रैल के बाद सीएनजी की कीमतों में छठी बढ़ोतरी है. इसके बाद मुंबई में सीएनजी की कीमतें बढ़कर 86 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गईं. पिछले एक साल के दौरान सीएनजी की कीमतें दिल्ली में 74 फीसदी और मुंबई में 62 फीसदी बढ़ चुकी हैं.

पीएनजी की कीमतों में भी लगातार तेजी

गेल के नेचुरल गैस की कीमतें बढ़ाने का असर सीएनजी तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि पाइप्ड नेचुरल गैस यानी पीएनजी का इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों को भी इसकी कीमत चुकानी पड़ी. महानगर गैस लिमिटेड ने इस सप्ताह मुंबई में पीएनजी की दरों को एक महीने से कम समय में दूसरी बार बढ़ाने का ऐलान किया. इस बार पीएनजी की दरें 4 रुपये प्रति स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर बढ़ाई गईं, जिसके बाद ये बढ़कर 52.50 रुपये पर पहुंच गई. राजधानी दिल्ली के ग्राहकों को आईजीएल ने शुक्रवार को ही झटका दिया और PNG के दामों में 2.63 प्रति यूनिट की बढ़ोतरी का ऐलान किया. आईजीएल का कहना है कि इनपुट कॉस्ट बढ़ने के चलते पीएनजी के दाम बढ़े हैं.

इन कारणों से बढ़ रही चावल की कीमतें

बीते कुछ दिनों में चावल की कीमतों में तेज बढ़ोतरी देखने को मिली है. दरअसल मानसून देश के कई हिस्सों में कमजोर पड़ा है और इस कारण चावल की बुवाई वाले कई राज्यों में कम बारिश की स्थिति उत्पन्न हुई है. बारिश की कमी से चावल की बुवाई कम हो रही है, जो इस खरीफ सीजन की उपज पर नकारात्मक असर डाल सकता है. रिजर्व बैंक ने खुद स्वीकार किया है कि खरीफ फसलों की कम बुवाई चिंताजनक है और इसपर नजरें बनाए रखने की जरूरत है. हालांकि रिजर्व बैंक ने यह आश्वस्त करने का भी प्रयास किया है कि देश में चावल का पर्याप्त भंडार है. हालांकि इसके बाद भी जून महीने से अब तक चावल की विभिन्न किस्मों के दाम 30 फीसदी तक बढ़े हैं. इसका एक कारण बांग्लादेश, ईरान, इराक, सऊदी अरब जैसे देशों से डिमांड में आई तेजी है. आपको बता दें कि भारत चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है.

एफएमसीजी उत्पादों के भी दाम बढ़े

कच्ची सामग्रियों के दाम बढ़ने, जीएसटी आदि के कारण एफएमसीजी उत्पादों के दाम भी बढ़ रहे हैं. अब पैक्ड दही-लस्सी पर जीएसटी के हालिया फैसले का असर देखिए. एफएमसीजी कंपनी Britannia ने हाल ही में अपने दही के उत्पादों के दाम बढ़ाए हैं. कंपनी भारतीय बाजार में 80g, 150g और 400g पैक्ड दही बेचती है. अभी तक बाजार में 80g पैक्ड दही की कीमत 10 रुपये थी, लेकिन इस सप्ताह से बाजार में यही 80 ग्राम वाला पैक्ड ब्रिटानिया का दही 15 रुपये में बिक रहा है. यानी कंपनी ने इसके दाम 10 रुपये से सीधे बढ़ाकर 15 रुपये कर दिए हैं. ग्राहकों को अब 10 रुपये वाला दही लेने के लिए 5 रुपये ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं. ब्रिटानिया ने अन्य उत्पादों के दाम बढ़ाने का भी इशारा किया है.