हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के रहने वाले 70 वर्षीय सेना से रिटायर्ड कैप्टन प्रकाश चंद युवाओं के लिए मिसाल बन गए हैं. इस आयु में लोग जब सबकुछ छोड़कर आराम फरमाते हैं, इस उम्र में वह घर बैठे बागवानी करके लाखों रुपये की आमदनी हासिल कर रहे हैं. इसके अलावा सब्जियों की खेती से अतिरिक्त आमदनी हासिल कर रहे हैं.
साल 2019 में शुरू की मौसमी और अनार की खेती
कैप्टन प्रकाश चंद ने साल 2019 में एचपी शिवा प्रोजेक्ट के तहत बागवानी करने का फैसला किया. इस प्रोजेक्ट के तहत किसानों को बागवानी करने के टिप्स के साथ-साथ आर्थिक सहायता भी दी जाती है. कैप्टन प्रकाश चंद ने बंजर पड़ी 20 कनाल भूमि पर मौसमी और अनार के पौधे लगाएं. जब यह दोनों फसल तैयार हुईं तो उन्हें लाखों रुपये की आमदनी हासिल हुई. इस साल भी उन्हें इस फसल से बंपर मुनाफा होने की उम्मीद है. उनका कहना है कि इस बार पौधों पर बहुत सारे फल लगे हैं. फिलहाल कैप्टन प्रकाश चंद अपने बगीचे में मौसमी और अनार के अलावा सब्जी उत्पादन भी कर रहे हैं. इससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी मिल रही है.
उद्यान विभाग ने खेती को लेकर दिए टिप्स
कैप्टन प्रकाश चंद ने बताया कि एशियन डेवलपमेंट बैंक द्वारा संचालित एचपी शिवा प्रोजेक्ट के तहत किसानों को बागवानी करने के लिए सहायता दी जा रही है. इसी कड़ी के तहत उन्होंने उद्यान विभाग से संपर्क किया. इस प्रोजेक्ट के तहत उन्हें बागवानी करने की सलाह दी गई. उन्होंने अगस्त 2019 में 600 मौसमी और 300 अनार के पौधे लगाए. यह पौधे महाराष्ट्र से उद्यान विभाग द्वारा मंगवाए गए थे. उद्यान विभाग द्वारा उन्हें बागवानी के टिप्स भी दिए गए. इससे उन्हें बढ़िया उत्पादन हासिल हुआ.
हर साल बढ़ा मुनाफा
कैप्टन प्रकाश चंद ने बताया कि फसल लगाने के दूसरे वर्ष उन्होंने 50 हजार रुपये की मौसमी और 10 हजार रुपये की अनार की बिक्री की. तीसरे साल डेढ़ लाख रुपये की मौसमी और करीब 35 हजार रुपये के अनार बेचे. बगीचे को इस साल 4 साल होने वाले हैं. भारी बारिश के चलते इस बार अनार की फसल कम हुई है. हालांकि, मौसमी के फल अच्छे आए हैं. इससे उन्हें इस बार तीन से 4 लाख रुपये की आमदनी होने की उम्मीद है.
खुद ही करते हैं फसल की देखभाल
प्रकाश चंद्र ने बताया कि वह सुबह 5:00 बजे ही उठ जाते हैं. पूरे बागवानी का काम खुद ही देखते हैं. वह कहते हैं जो किसान अपनी जमीनों को खाली छोड़ रहे हैं, उन किसानों को बागवानी अपनानी चाहिए. इससे उन्हें अच्छी आमदनी होगी. हिमाचल प्रदेश में मुख्यतः मक्का और गेहूं की बिजाई की जाती है, इससे किसानों को ज्यादा आमदनी नहीं हो पाती. यही वजह है खेती-किसानी से किसान दूर भाग रहे हैं.