‘सभी धर्मों का सम्मान करता हूं’, CJI गवई की सफाई, भगवान विष्णु की मूर्ति पर बयान के बाद हुआ था विवाद

खजुराहो स्थित भगवान विष्णु की प्रतिमा से जुड़ी अपनी टिप्पणी के बाद उठे विवाद पर चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने खुद ही सफाई दी है. उन्होंने सोशल मीडिया पर हो रही आलोचना पर कहा कि वह हर धर्म का सम्मान करते हैं. उनकी इस सफाई के बाद यह विवाद कुछ हद तक शांत होता दिख रहा है. केंद्र सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी सीजेआई का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि वह सीजेआई को 10 साल से जानते हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर होने वाली आलोचनाओं पर भी टिप्पणी की. तुषार मेहता ने कहा कि हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है, लेकिन सोशल मीडिया पर अनुचित प्रतिक्रिया नजर आती है. मेहता ने यह भी कहा कि चीफ जस्टिस हर धर्म से जुड़े स्थान पर जाते हैं.

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सोशल मीडिया एक बेलगाम घोड़ा बन चुका है, और इसका खामियाजा हम हर रोज भुगतते हैं. इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि नेपाल में जो कुछ हुआ, उसके पीछे सोशल मीडिया भी एक वजह है.

‘दरअसल, मंगलवार को सीजेआई गवई की अगुवाई वाली एक बेंच ने मध्य प्रदेश के खजुराहो स्थित जावेरी मंदिर में 7 फीट की भगवान विष्णु की एक प्रतिमा को ठीक कराने की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि यह मामला आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के अधिकार क्षेत्र में आता है। उस दौरान बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि ‘यह पूरी तरह से पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन है। जाइए और देवता से कहिए कि वो अब खुद ही कुछ करें। आप कहते हैं कि आप भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हैं। तो जाइए और अब प्रार्थना कीजिए। ‘ सीजेआई की यही टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी और लोगों ने उनपर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाते हुए उनकी खूब आलोचना की। यहां तक कि उनसे माफी मांगने और उन्हें हटाए जाने तक की मांग शुरू हो गई। कई वकीलों ने भी सीजेआई को लिखा कि वे अपना स्पष्टीकरण जारी करें और अपनी टिप्पणियों को वापस ले लें।

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