अमेरिका से डिपोर्ट हुए हरियाणा के 50 लोग, बेड़ियों में बांधकर लाया गया दिल्ली
अवैध रूप से डंकी रूट के जरिये अमेरिका पहुंचने वाले हरियाणा के 50 युवाओं को अमेरिका ने शनिवार देर रात डिपोर्ट कर भारत भेज दिया। विशेष विमान द्वारा इन युवाओं को दिल्ली एयरपोर्ट पर बेड़ियों में बांधकर लाया गया। अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने इन्हें आधिकारिक प्रक्रिया के तहत भारतीय इमिग्रेशन अधिकारियों के हवाले किया। एयरपोर्ट पर हरियाणा पुलिस की विशेष टीमें पहले से मौजूद थीं। जिन युवाओं के खिलाफ आपराधिक और गिरोह से जुड़े मामलों की जानकारी थी, उन्हें मौके पर ही हिरासत में ले लिया गया। बाकी युवाओं को कागजी कार्रवाई के बाद उनके गृह जिलों में भेज दिया गया। डिपोर्ट हुए 50 युवाओं में सबसे ज्यादा करनाल के 16 लोग और कैथल जिले के 14 लोग शामिल हैं। इनके अलावा कुरुक्षेत्र के पांच, जींद के तीन सहित अन्य जिलों के लोग है।
वहीं इनमें सबसे बड़ा मामला कैथल के गांव तितरम निवासी लखविंद्र उर्फ लाखा का है। लाखा लॉरेंस बिश्नोई और अनमोल बिश्नोई गिरोह का सक्रिय सदस्य है और 2022 से अमेरिका में बैठकर हरियाणा-पंजाब के व्यापारियों से फिरौती मांगने के नेटवर्क का संचालन कर रहा था। हरियाणा एसटीएफ की अंबाला यूनिट ने गैंगस्टर लॉरेंस के करीबी लखविंद्र उर्फ लाखा को गिरफ्तार कर लिया। कैथल के अलावा अन्य जिलों में भी उस पर फिरौती मांगने जैसे कई मामले दर्ज हैं।
इसके अलावा डिपोर्ट होकर आए दूसरे मोस्ट वांटेड सुनली सरधानिया का नाम भी शामिल हैं। जो हत्या सहित 24 आपराधिक वारदातों में वांछित है। सुनील को भिवानी में एक हत्या के केस में उम्र कैद और पंचकूला में डकैती के मामले में 10 साल की सजा हुई थी। दोनों मामलों में कोर्ट से जेल से जमानत आने के बाद उसने फर्जी पते पर अपना पासपोर्ट बनवाया था। इसके बाद 2024 में है विदेश भाग गया था। अमेरिका द्वारा रिपोर्ट किए गए युवकों में से एसटीएफ में दोनों आरोपियों तुरंत हिरासत में ले लिया। अब दोनों पुलिस रिमांड पर लिया है। डिपोर्ट हुए युवाओं में ज्यादातर वे हैं जिन्होंने अपने परिवार की जमीन, गहने बेचकर और ब्याज पर पैसा लेकर डंकी रूट के माध्यम से अमेरिका जाने का प्रयास किया था। लेकिन वहां पहुंचते ही उन्हें सीमा सुरक्षा बलों ने पकड़ लिया और महीनों तक जेलों व डिटेंशन कैंपों में रखा। इन युवाओं में से अधिकांश ने 2024 और 2025 में यह सफर तय करना शुरू किया था।
डिपोर्ट हुए युवकों ने बताया कि पहले दिल्ली से ब्राजील जाया जाता है। वहां एजेंट लोकल गिरोहों के सहारे आगे भेजते हैं। ब्राजील से कोलंबिया, फिर पनामा और वहां से मौत का जंगल कहे जाने वाले दरियन गैप की शुरुआत होती है। 6 से 15 दिन तक लगातार जंगलों में पैदल चलना होता है। तेज बारिश, कीचड़, सांप-बिच्छू, दलदल को लांघकर कर आगे बढ़ना होता है। थककर गिर जाने वालों को डोंकर वहीं छोड़ देते है। कई बार उनको चलने के लिए मारपीट कर मजबूर किया जाता है। डोंकर हर चरण पर उनसे पैसे वसूलते हैं। इनमें पनामा ₹3–5 लाख, ग्वाटेमाला ₹5–7 लाख, मैक्सिको ₹6–10 लाख, अमेरिका बॉर्डर पार ₹2–4 लाख रुपए वसूले जाते हैं। सभी को मिलाकर लगभग 50–70 लाख रुपये खर्च होते हैं। फिर भी गारंटी शून्य रहती है।
