26 अगस्त या 27 अगस्त, कब है हरतालिका तीज? जानें सही तारीख और मुहूर्त

सुहागिन महिलाओं के लिए हरतालिका तीज एक बेहद महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है. महिलाएं इस दिन अपने जीवनसाथी की लंबी आयु, वैवाहिक जीवन की समृद्धि और खुशहाली के लिए यह व्रत रखती हैं. पंचांग के अनुसार, हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है. इस दिन, भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा-उपासना की जाती है. इस साल हरतालिका तीज 26 अगस्त को मनाई जाएगी. हरतालिका तीज के दिन भक्त बड़ी श्रद्धा से देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिससे मनचाहा आशीर्वाद प्राप्त हो. यह व्रत बहुत कठोर माना जाता है, क्योंकि इसे निर्जला रखा जाता है. पहली बार इसे रखने वाली महिलाओं को पूरी श्रद्धा के साथ सभी नियमों और अनुष्ठानों का पालन करने के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करना चाहिए. हरतालिका तीज की तृतीया तिथि 25 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 26 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 54 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, हरलातिका तीज इस बार 26 अगस्त को ही मनाई जाएगी.

हरतालिका तीज का पूजन सुबह के समय किया जाता है, जिसका मुहूर्त सुबह 5 बजकर 56 मिनट पर शुरू होगा और समापन सुबह 8 बजकर 31 मिनट पर होगा. जिसकी कुल अवधि 2 घंटे 35 मिनट की होगी.

हरतालिका तीज पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें. पूजा स्थल को फल-फूलों से सजाकर रखें. एक चौकी लगाएं और उस पर शिव, पार्वती और गणेश की प्रतिमा स्थापित करें. भगवान शिव और माता पार्वती के सामने एक दीपक प्रज्वलित करें. इसके बाद श्रृंगार की पिटारी से सुहाग की सारी वस्तुएं रखकर माता पार्वती को अर्पित करें. भगवान को फल, फूल और मिठाई अर्पित करें. पूजा के बाद हरतालिका तीज की कथा सुनें और गरीबों को इच्छानुसार कुछ दान करें. रात में जागरण करें. सुबह आरती के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं और हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें.

हरतालिका तीज व्रत नियम

माना जाता है कि हरतालिका तीज के दिन महिलाओं को सोना नहीं चाहिए और रात में भी जागकर भगवान शिव और माता पार्वती के नाम का भजन-कीर्तन करना चाहिए. हरतालिका तीज के दिन महिलाओं को 16 श्रृंगार करना चाहिए. इस दिन महिलाओं को पूजन में काले रंग के वस्त्र और चूड़ियां नहीं पहननी चाहिए. बल्कि, लाल और रंग की चूड़ियां ही पहननी चाहिए.

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