बालोद जिले के गुंडरदेही में स्थित चंडी मंदिर हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल है। यहां पर हिंदू-मुस्लिम दोनों एक साथ पूजा-अर्चना करते हैं। सैय्यद बाबा की मजार के लिए चादर भी सबसे पहले इसी चंडी मंदिर से आती है। गुंडरदेही नगर के राम सागर तालाब से माता चंडी की मूर्ति के साथ-साथ सैय्यद बाबा की चादर भी मिली थी।
इस मंदिर का इतिहास करीब 100 साल पुराना है। 100 सालों से चंडी मंदिर से मजार में पहली चादर चढ़ती है। यहां साम्प्रदायिक सौहार्द एवं सद्भावना का माहौल रहता है। कई सालों से मुस्लिम समाज के लोग चंडी मंदिर की सेवा करते आ रहे हैं। यहां हिंदू-मुस्लिम दोनों धर्म के लोग मिलजुलकर हर त्योहार बड़े उत्साह से मनाते हैं। यहां मंदिर से कुछ ही दूरी पर मजार स्थित है। जहां दोनों समुदाय के लोग एक साथ पूजा-अर्चना करते हैं।
यहां मंदिर का दरवाजा खोलने से पहले सैय्यद बाबा की मजार पर लोबान और धूप दिखाया जाता है। इस मंदिर में सैय्यद बाबा के हरे रंग का पवित्र 786 का झंडा भी लहरा रहा है। यहां सभी धर्म के लोग मिल-जुलकर पूजा करते हैं। पूर्व विधायक एवं मंदिर के संस्थापक परिवार के सदस्य राजेंद्र कुमार राय ने बताया कि यहां अभी तक हिंदू-मुस्लिम टकराव की स्थिति नहीं पैदा हुई है।
जिला बालोद के गुंडरदेही के हटरी बाजार में चंडी मंदिर स्थित है। मंदिर के पुजारी खोरबाहरा राम ने बताया कि सैय्यद बाबा को पूर्वजों ने यहां पर स्थापित किया था। उन्होंने कहा कि हिंदू और मुस्लिमों के बीच यहां कोई दूरियां नहीं है। सैय्यद बाबा से प्रार्थना करने पर सभी दुख दूर होते हैं, वहीं नवरात्रि पर विधि-विधान से ज्योति कलश की स्थापना कर पूजा-अर्चना करने से माता चंडी श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूर्ण करती है।
किसी ने नहीं किया कोई दावा
गुंडरदेही नगर के मोहम्मद आरिफ खान ने बताया कि यहां पर बाबा अलाउद्दीन बगदादी और चंडी मंदिर समिति का आपस में बहुत लगाव है। यहां दोनों धर्मावलंबियों के बीच कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। भारत में यह जगह एक मिसाल है। यहां के राजपरिवार ने मजार का एक टुकड़ा या फिर सेहरा मंदिर में रखा हुआ है, लेकिन कभी किसी मुसलमान ने इस पर दावा नहीं किया। न तो किसी हिंदू ने इस मंदिर पर अपना एकाधिकार जताया। यहां के दिवंगत राजा निहाल सिंह के पूर्वजों ने चंडी मां की मूर्ति के साथ-साथ सैय्यद बाबा की चादर को स्थापित किया था, तब से यहां के लोग माता की पूजा भी करते हैं और इस चादर पर भी शीश नवाते हैं।
एकजुटता को खत्म करने की साजिश
कुछ असामाजिक तत्वों ने मुस्लिम धर्म की इस चादर को लेकर सोशल मीडिया में गलत जानकारी वायरल कर दिया है। इसे लेकर मोहम्मद आरिफ खान ने कहा कि जिन्होंने भी इस मंदिर की तस्वीरों को लेकर शब्दों में हेराफेरी करते हुए एकजुटता को खत्म करने की साजिश की है, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम सब अमन पसंद लोग हैं, आवाम चाहती है कि हिंदू-मुस्लिम हमेशा एक साथ रहें, लेकिन साजिश करने वाले वही लोग हैं, जो ना हिंदू से प्रेम करते हैं और ना मुसलमान से, यह केवल एक-दूसरे के बीच नफरत फैलाकर अपनी रोटियां सेंकना चाहते हैं, अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं।
मुस्लिम समाज के कादिर मंसूरी ने बताया कि यहां के राजा निहाल सिंह बहुत अमन पसंद इंसान थे। उन्होंने कभी किसी का अहित नहीं किया। उनकी मंशा हिंदू-मुस्लिम एकता और अखंडता बनाए रखने की थी। इस मंदिर को लेकर जो भी भ्रम फैलाया जा रहा है, वो गलत है। गुंडरदेही निवासी मोहम्मद शेख मुनव्वर कहते हैं कि ठाकुर निहाल सिंह ने मंदिर में अलहम रखवाया था। बाबा सैय्यद अलाउद्दीन बगदादी रहमतुल्ला का उर्स पाक होता है, जिसमें मंदिर समिति से हिंदू भाईयों द्वारा चादर बाबा सैय्यद अलाउद्दीन बगदादी रहमतुल्ला के मजार पर चढ़ाई जाती है।
अंतिम जमींदार ने की थी स्थापना
गुंडरदेही विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक एवं मंदिर समिति के संस्थापक परिवार के सदस्य राजेंद्र कुमार राय ने बताया कि मेरे दादाजी ठाकुर निहाल सिंह जो 52 गांव के जमींदार थे, उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया था। वे इस क्षेत्र के अंतिम जमींदार थे। उन्होंने कहा कि ठाकुर जमींदार निहाल सिंह का वर्चस्व इलाके में बहुत ज्यादा था। वे जब मंदिर के आंगन में बैठते थे, तो 20 से 25 हजार लोगों की भीड़ यहां जमा हो जाती थी। उन्होंने कहा कि यहां की एकता और अखंडता को तोड़ने की कोशिश करने वालों के खिलाफ हम कानूनी कार्रवाई करवाएंगे।
पूर्व विधायक राजेंद्र कुमार राय ने कहा कि यहां पर जिसने भी झगड़ा फैलाने की कोशिश की है, वे यहां के नहीं मुंबई और बाहर के रहने वाले लोग हैं। मंदिर की तस्वीर को गलत ढंग से प्रस्तुत कर रहे हैं। हम मंदिर समिति की तरफ से जल्द ही स्थानीय थाने में FIR दर्ज कराएंगे।
वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि चंडी माता की मूर्ति स्थानीय रामसागर तालाब से निकली थी। जब मूर्ति निकली, तो वहां पर मुस्लिम समुदाय का पवित्र चांद भी निकला। इस तरह ठाकुर निहाल सिंह जी ने माता की स्थापना के साथ यहां पर एक हरा पवित्र सैय्यद बाबा साहब का 786 वाला चादर भी यहां स्थापित किया। आज तक यह मंदिर पूरे हिंदुस्तान में वसुधैव कुटुंबकम की तर्ज पर लोगों को जोड़े हुए है। सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने की कोशिशों के बाद पुलिस-प्रशासन भी अलर्ट हो गया है।