अफगानिस्तान : बच्चों को दूध के बजाय ड्रग्स की लत, काबुल के ड्रग्स रिहैब सेंटर का हाल

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मवाद के बिना नहीं रह सकती। पैसे नहीं होते हैं, तो मर्दों के पास चली जाती हूं। कुछ दिन पहले की ही बात है। दो दिन से भूखी थी। मैंने फिर खुद को बेचा और दो हजार रुपए कमाए, लेकिन उस पैसे से रोटी के बजाय मवाद खरीदा।”

यह कहानी 14 साल की अफगानी लड़की फराह की है। उसकी अपनी दारी भाषा में मवाद का मतलब अफीम है। वह पिछले एक महीने से काबुल के ड्रग रिहैब सेंटर में भर्ती है। 20 साल की उसकी बड़ी बहन भी उसी रिहैब सेंटर में भर्ती है।