· चार सर्वाधिक प्रभावित जिलों के 80 सीएचओ को प्रथम चरण में प्रशिक्षण
· रोगियों की पहचान, प्रारंभिक उपचार और जागरूकता फैलाने में करेंगे मदद
रायपुर : प्रदेश के किडनी रोगों से सर्वाधिक प्रभावित चार जिलों गरियाबंद, महासमुंद, कांकेर और धमतरी के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान द्वारा किडनी रोगियों की पहचान, प्रारंभिक उपचार और किडनी रोगों की रोकथाम के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इस अवसर पर जीवनशैली में परिवर्तन कर किडनी रोगों से बचने का संदेश भी दिया गया।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और एम्स के नेफ्रोलॉजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने कहा कि संस्थान में किडनी संबंधी गंभीर रोगों के इलाज के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। अब किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध होने के बाद रोगियों को अन्य प्रदेशों में इलाज के लिए जाने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि सुपेबेड़ा जैसे सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों को भी एम्स द्वारा उपचार और पेरीटोनियल डायलिसिस की ट्रेनिंग प्रदान की जा रही है। टेलीमेडिसिन के माध्यम से भी सुदूर क्षेत्रों के रोगियों को उपचार प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है।
एनएचएम के संयुक्त निदेशक डॉ. सुरेंद्र पामभोई ने प्रशिक्षण कार्यक्रमों में अग्रणी भूमिका के लिए एम्स को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि सीएचओ का स्वास्थ्य सेवाओं में विशेष महत्व है। इस प्रकार के प्रशिक्षण से अब वे किडनी स्टोन, हाई सिरम क्रिएटिन, यूटीआई आदि के रोगियों की पहचान कर सकते हैं। पांच हजार से अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में सीकेडी, बीपी और शुगर संबंधी रोगियों की पहचान का दायित्व भी इन्हें दिया गया है। उन्होंने आशा प्रकट की कि इससे जागरूकता पैदा करने में भी काफी मदद मिलेगी।
विभागाध्यक्ष डॉ. विनय राठौर ने बताया कि प्रदेश में यह चार जिले किडनी संबंधी रोगों से सर्वाधिक प्रभावित हैं। प्रथम चरण में इनके 80 सीएचओ को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। जिससे यह असंतुलित जीवनशैली, अनियमित खान-पान, तनाव, रक्तचाप, डायबिटीज जैसे प्रमुख कारणों पर जागरूकता पैदा कर सके। प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से ब्लॉक स्तर पर सीकेडी और डायलिसिस की जानकारी विशेषज्ञों द्वारा प्रदान की गई। उन्होंने कहा कि नियमित डायलिसिस और पेरीटोनियल डायलिसिस की मदद से किडनी रोगी सामान्य जीवनयापन कर सकते हैं। इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाएंगे।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में अधिष्ठाता (अकादमिक) प्रो. आलोक अग्रवाल, डॉ. रोहित बागड़े, डॉ. विनय कुमार एवी, डॉ. नरेंद्र सिन्हा, आनंद साहू, विशोक एन. आदि ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में सहयोग प्रदान किया।