अमरनाथ यात्रा : 3 जुलाई से शुरू होगी 38 दिन की यात्रा, श्रद्धालुओं को ले जाने वाले खच्चरों की टैगिंग

अमरनाथ यात्रा के काफिले की सुरक्षा के लिए पहली बार जैमर लगाए जाएंगे, जिसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) सुरक्षा प्रदान करेगी। काफिले के गुजरने के दौरान सुरक्षा के लिए यात्रा के दोनों रूट और नेशनल हाईवे की ओर जाने वाली सभी सड़कों को बंद कर दिया जाएगा। यह फैसला 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद आया है। बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटक मारे गए थे। इसके अलावा यात्रा के लिए अलग-अलग केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) की 581 कंपनियां तैनात की जाएंगी। अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को ऑपरेशन शिवा नाम दिया गया है। लगभग 42000 से 58,000 जवान तैनात होंगे। CAPF में सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स, बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स, सशस्त्र सीमा बल, इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस, सेंट्रल इंडस्ट्री सिक्योरिटी फोर्स शामिल रहती है।
156 कंपनियां पहले से जम्मू-कश्मीर में तैनात थीं, जबकि 425 नई कंपनियों को 10 जून तक तैनात किया जाएगा। 3 जुलाई से 9 अगस्त तक चलने वाली यात्रा पहली बार 38 दिन की हो रही है। 9 अगस्त को छड़ी मुबारक के साथ रक्षाबंधन के दिन पूरी होगी। इस बार श्रद्धालुओं को कंधे पर बिठाकर ले जाने वाले पोनी वालों का वैरिफिकेशन होगा। क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले पोनी वालों को सर्विस की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके अलावा उन घोड़े-खच्चर की भी टैगिंग होगी जिन पर बैठकर श्रद्धालु यात्रा पर जाएंगे।
अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित करने के लिए रोड ओपनिंग पार्टी (आरओपी), खतरों पर तुरंत एक्शन के लिए क्विक एक्शन टीम (क्यूएटी), विस्फोटकों का पता लगाने और उन्हें निष्क्रिय करने के लिए बॉम्ब डिफ्यूजल स्क्वॉड (बीडीएस), K9 यूनिट्स (विशेष रूप से प्रशिक्षित खोजी कुत्ते) और हवाई निगरानी के लिए ड्रोन शामिल होंगे। ये व्यवस्थाएं जम्मू और कश्मीर में अमरनाथ गुफा मंदिर तक जाने वाले पहलगाम और बालटाल दोनों मार्गों पर लागू होंगी।