पाकिस्तान के चीफ जस्टिस काजी फैज ईसा के सिर पर 1 करोड़ का ईनाम रख दिया गया है, जिन्होंने एक अहमदिया व्यक्ति मुबारकी सानी को ‘राइट टू रिलीजन’ के तहत ‘ईशनिंदा’ के आरोपों से बरी कर दिया था। यही नहीं, अब हजारों कट्टरपंथियों की भीड़ सुप्रीम कोर्ट में घुस आई है और चीफ जस्टिस काजी फैज ईसा के इस्तीफे की माँग कर रही है। उन्हें पीछे ढकेलने के लिए वॉटर कैनन और लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा है। काजी फैज ईसा पिछले साल ही पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त किए गए थे, लेकिन फरवरी 2024 में उनके एक फैसले की वजह से आज उनकी जान पर बन आई है। इस मामले में उन्होंने फरवरी में उसकी सजा पर रोक लगाई थी और फिर 29 मई को मामले की सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। उनके साथ सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस इरफान सआदत खान और जस्टिस नईम अख़्तर अफगान भी शामिल थे। विरोध प्रदर्शन 24 जुलाई को शुरू हुए, जब उन्होंने इस मामले में पंजाब सरकार की याचिका स्वीकार कर ली। इसके साथ ही कई इस्लामी संगठनों ने भी याचिकाएँ दायर की और सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसले की समीक्षा की माँग की। इन मामलों में सुनवाई 22 अगस्त 2024 को होगी, लेकिन उससे पहले ही हजारों कट्टरपंथियों की भीड़ ने इस्लामाबाद के अति सुरक्षित रेड-जोन को पार कर लिया और सुप्रीम कोर्ट के बाह पड़ाव डालकर प्रदर्शन शुरू कर दिया है। 19 अगस्त 2024 को इस्लामिक कट्टरपंथियों के बड़े समूह ने इस्लामाबाद के आत्यधिक सुरक्षित माने जाने वाले रेड-जोन की सुरक्षा को तोड़ दिया और सुप्रीम कोर्ट के गेट पर धावा बोल दिया। इस्लामिक कट्टरपंथियों की माँग है कि चीफ जस्टिस तुरंत इस्तीफा दें। दरअसल, फरवरी के फैसले में जस्टिस ईसा ने अहमदिया व्यक्ति मुबारक अहमद सानी को जमानत दे दी थी, जिस पर साल 2019 में ईशनिंदा का आरोप लगा था। उसने अहमदियों से जुड़े पर्चे बाँटे थे। सानी को पंजाब पवित्र कुरान (प्रिंटिंग एंड रिकॉर्डिंग) (संसोधन) एक्ट, 2021 के तहत सजा सुनाई गई थी। जस्टिस ईसा की अगुवाई में तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि सानी को उस कानून के तहत सजा दी गई है, जो साल 2021 से पहले थी ही नहीं। इसके बाद कोर्ट ने सानी को जमानत देते हुए उसकी तुरंत रिहाई का आदेश दिया था। इसके तुरंत बाद तहरीक-ए-लब्बैक-पाकिस्तान और अन्य इस्लामिक संगठनों ने काजी फैज ईसा के खिलाफ नफरती अभियान चलाना शुरू कर दिया। फरवरी 2024 में पेशावर में 3 हजार से अधिक इस्लामिक कट्टरपंथियों ने रोड़ ब्लॉक करके ‘कादियानों को मौत’ के नारे लगाए। इस प्रदर्शन के बाद सुप्रीम कोर्ट को बाकायदा बयान जारी कर अपने फैसले पर सफाई देनी पड़ी थी।
पाकिस्तान के कट्टरपंथी इस्लामी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) ने पाकिस्तान के चीफ जस्टिस ईसा के सिर पर 1 करोड़ का ईनाम घोषित किया है। टीएलपी के दूसरे नंबर के नेता पीर जहीरुल हसन शाह ने ये ईनाम घोषित किया। उसने अपने बयान में कहा, “टीएलपी को छोड़िए, एक मोमिन और प्रोफेट मोहम्मद का गुलाम होने के तौर पर, मैं अपनी हैसियत से घोषणा करता हूँ कि जो फैज ईसा का सिर कलम करेगा, उसे मैं 1 करोड़ रुपए दूँगा।” उसने अहमदियों को मरजई भी कहा।
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट पर मुस्लिम समुदाय का हमला!
अल्पसंख्यकों को उनका धर्म के अनुसार की स्वतंत्रता देने पर मुस्लिम समुदाय हुआ नाराज और उन्होंने Supreme Court पर हमला कर दिया #SupremeCourt #Pakistan pic.twitter.com/fHXfbGT2PX— Bajrang jajra (@Bajrangjat_rj21) August 20, 2024