टॉयलेट में बैठे ही सुनवाई में शामिल हुआ था, गुजरात हाईकोर्ट ने 15 दिन समाज-सेवा का दिया आदेश

गुजरात के अहमदाबाद में ऑनलाइन अदालती सुनवाई के दौरान टॉयलेट से ही पेश होने वाले शख्स को अदालत की अवमानना का सामना करने का निर्देश दिया गया। गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार को हुई सुनवाई में अब्दुल समद को 15 दिन की सामुदायिक सेवा करने का आदेश दिया है। पिछली सुनवाई में लगाया था 1 लाख रुपए का जुर्माना यह घटना 20 जून को हुई जब जस्टिस नीरज एस देसाई एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। इसी दौरान अब्दुल टॉयलेस से ही ऑनलाइन सुनवाई में शामिल हुआ था। इसका वीडियो वायरल हो गया था। जिसके बाद गुजरात हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए अवमानना कार्यवाही की थी। कोर्ट ने 14 जुलाई को हुई सुनवाई में अब्दुल पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। जुर्माने का राशि 22 जुलाई तक कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करनी थी। हालांकि, मंगलवार को अब्दुल ने 1 लाख रुपए की जुर्माना राशि भी भरी और कोर्ट से अपनी गलती के लिए माफी भी मांग ली है

कोविड-19 महामारी के बाद से, गुजरात उच्च न्यायालय ने वकीलों और पक्षकारों को वर्चुअल माध्यम से सुनवाई में शामिल होने की अनुमति दी है। कार्यवाही का सीधा प्रसारण न्यायालय के यूट्यूब चैनल के जरिए किया जाता है। अब्दुल समद शाह सूरत के किम गांव का निवासी है और मारपीट के एक मामले में शिकायतकर्ता है। इसी मामले की सुनवाई के दौरान वह टॉयलेट से ही ऑनलाइन सुनवाई में शामिल हुआ था।

जस्टिस एएस सुपेहिया और जस्टिस आरटी वच्छानी की पीठ ने कहा- साधन लेकर या शौचालय जैसी जगह पर जाकर, संस्था को उस क्षेत्र में घसीटा जाता है, और यह दुखद है। यह बहुत गंभीर है…वह इस प्रक्रिया में भाग ले रहा है; वह उच्च न्यायालय को शौचालय में घसीट रहा है।

अदालत ने वकीलों के लिए भी एक संदेश दिया

हम बार के सदस्यों को भी आदेश देते हैं कि वे अपने मुवक्किलों को पहले ही बता दें कि वे उचित रूप से उपस्थित हों और शालीन व्यवहार करें, और गुजरात उच्च न्यायालय के लाइव-स्ट्रीमिंग नियमों के अनुसार अदालत की गरिमा बनाए रखें।

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