‘बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया’… ये गाना आपने कई बार सुना होगा. इंटरनेट की दुनिया ने गाने की इस लाइन को सच कर दिया है. दोस्त और रिश्तेदार के नाम पर चल रहा स्कैम नया नहीं है. बहुत से लोग इस तरह के फर्जीवाड़े के शिकार हो चुके हैं, लेकिन अब इसका ‘अपडेटेड वर्जन’ आ चुका है.
स्कैमर्स विदेश में रहने वाले लोगों ने नाम पर ठगी कर रहे हैं. आपके घर में कौन विदेश में रह रहा है और क्या कर रहा है? साइबर अपराधी आजकल इन्हीं जानकारियां के आधार पर लोगों को खूब चपत लगा रहे हैं. रिश्तेदार या दोस्त दूर हों तो चिंता अधिक होती है, जिसका फायदा साइबर ठग उठा रहें है. ऐसे ही कुछ मामले से हम आपको आज रूबरू करा रहे हैं.
मेडिकल इमरजेंसी के नाम पर ठगी, 1930 पर कॉल की तो बचे 2.5 लाख
चंडीगढ़ पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि पंचकूला निवासी प्रेम चंद साइबर ठगी की समस्या लेकर आए थे. उन्होंने अपनी शिकायत में बताया कि उनका भतीजा कनाडा में पढ़ाई कर रहा है. शिकायत के अनुसार पीड़ित की पत्नी के पास 16 सितंबर को एक अनजान नंबर से कॉल आई.
कॉल करने वाले ने खुद को उनका भतीजा बताया और कहा कि पार्टी के दौरान उसका किसी से झगड़ा हो गया है. झगड़े में सामने वाले को चोट लग गई है और अगर उसका इलाज नहीं करवाया तो पुलिस कार्रवाई की जाएगी.
शिकायत के अनुसार तीन किस्तों में उन्होंने ठगों को कुल 7.5 लाख रुपये ट्रांसफर किए हैं. पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि फ्रॉड की जानकारी होने पर प्रेम चंद ने 1930 पर शिकायत दर्ज कार्रवाई, जिस पर तुरंत कार्रवाई कर पुलिस ने खाते को फ्रीज कर 2.5 लाख रिफंड करवाए.
सोशल मीडिया से लेते है विदेशी रिश्तेदारों की जानकारी, डिपोर्ट होने का दिखाते हैं डर
प्रदेश के इस क्षेत्र में अधिकतर लोगों के रिश्तेदार व बच्चे विदेश में रह कर पढ़ाई कर रहे हैं. साइबर ठग अक्सर फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से जुड़कर अपने शिकार को ढूंढते हैं. जानकारी के आधार पर अपराध को अंजाम दिया जाता है. यह कोई पहला मामला नहीं है.
ऐसे ही एक अन्य मामले में पंचकूला के एक व्यक्ति से साइबर अपराधी ने खुद को विदेश में रहने वाला भतीजा बताकर ठगी की थी. इसी तरह एक अन्य केस में कैथल निवासी साहब सिंह को कनाडा से ठगों ने वकील बनकर फोन किया था. जिसमें साहब सिंह के रिश्तेदार को पुलिस से लड़ाई होने व डिपोर्ट करने का डर दिखाया था.
इस केस में साहब सिंह ने ठगों की बातों में आकर एक लाख रुपये भेज दिए थे, लेकिन साइबर फ्रॉड समझ आते ही 1930 पर शिकायत दी गई. साइबर टीम ने इस मामले में 90 हजार रुपये बचाए थे. ऐसे ही एक अन्य केस में सोनीपत निवासी से महिला से दोस्ती के नाम पर करीब सवा दो लाख की ठगी की गयी थी, जिसकी शिकायत 1930 पर करने के बाद 1.35 लाख रुपये पुलिस ने बचाए थे.
‘साइबर ठगी एक संगठित अपराध है, सोशल मीडिया को परिवार तक ही सीमित रखें’
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अपराध ओ पी सिंह (आईपीएस) ने बताया की साइबर ठगों के निशाने पर हर वो शख्स है जो किसी भी डिजिटल माध्यम से जुड़ा है. फिर चाहे वो सोशल मीडिया हो या इंटरनेट बैंकिंग. खास तौर से आज के दौर में जब हमारी जिंदगी सोशल मीडिया पर एक खुली किताब के समान हो गयी है.
बदलते वक्त के साथ साइबर ठगों ने अपने पैंतरे भी बदले हैं. आज फेसबुक से लेकर इंस्टाग्राम और ट्विटर से लेकर वॉट्सऐप तक आपका अकाउंट होगा. साइबर ठग सोशल मीडिया के जरिए आपसे दोस्ती करते हैं और धीर-धीरे आपकी ना सिर्फ बैंक से जुड़ी जानकारी बल्कि आपके परिवार की जानकारी भी हासिल कर लेते हैं.
ऐसे में जनता को इस बात का ख्याल रखना है कि सोशल मीडिया अकाउंट्स लॉक रखें जाएं. अपने परिवार की जानकारी सार्वजनिक ना करें. विदेशी रिश्तेदारों के नाम से आने वाली कॉल पर जल्दबाजी ना दिखाएं. पहले पूरी तरह से संतुष्ट हो जाएं उसके बाद ही कोई कदम उठाएं. साइबर अपराध होने की स्तिथि में 1930 पर तुंरत अपनी शिकायत दर्ज करवाएं.