CJI पर जूता फेंकने वाले वकील पर अवमानना का केस, अटॉर्नी जनरल की मंजूरी मिली

अटॉर्नी जनरल ने भारत के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई पर जूता फेंकने वाले एक वकील के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की परमिशन दे दी है। यह जानकारी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को दी गई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन प्रमुख विकास सिंह ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जयमाल्या बागची की बेंच से सुनवाई की अपील की है। सिंह ने कहा कि 6 अक्टूबर को हुई इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर उन्माद फैल गया है। यह सुप्रीम कोर्ट की अखंडता और गरिमा को ठेस पहुंचा रहा है। आरोपी को भी पछतावा नहीं है। बेंच ने कहा कि जब अदालत में पहले से ही कई केस पेंडिंग हैं, इस केस पर 5 मिनट खर्च करना कितना सही होगा। कोर्ट में विकास सिंह ने सुझाव दिया कि सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणियों के खिलाफ एक व्यापक आदेश पारित किया जा सकता है। उन्होंने जॉन डो आदेश की मांग रखी। हालांकि, जस्टिस बागची ने कहा कि इस तरह के एकमुश्त आदेश से और बहस छिड़ जाएगी। महत्वपूर्ण बात यह है कि जज ऐसे हमलों से संयमित तरीके से निपटें।
जस्टिस बागची बोले- हमारा व्यवहार और हम खुद को कैसे संभालते हैं, उससे हमें सम्मान मिलता है। CJI ने इसे एक गैर-जिम्मेदार नागरिक का कृत्य बताकर दरकिनार कर दिया है। आपको इस बात पर विचार करना होगा कि क्या उस घटना को उठाना जरूरी है जिसका हमने निपटारा कर दिया है।
इस पर सिंह ने कह कि जूता फेंकने की घटना का महिमा मंडन बंद होना चाहिए। जस्टिस कांत ने कहा कि एक बार जब हम इस मुद्दे को उठाएंगे, तो इस पर कई सप्ताह तक चर्चा होगी। वहीं, जस्टिस बागची ने कहा कि हम पैसा कमाने वाले उद्यम बन गए हैं।
यह घटना 6 अक्टूबर को हुई, जब राकेश किशोर ने सुप्रीम कोर्ट में उस मंच की ओर जूता फेंका, जहां सीजेआई गवई, जस्टिस विनोद चंद्रन के साथ बैठे थे। यह हमला खजुराहो में भगवान विष्णु की 7 फुट ऊंची सिर कटी मूर्ति की पुनर्स्थापना से जुड़े एक पिछले मामले में CJI की टिप्पणियों से जुड़ा था। उस मामले को खारिज करते हुए, उन्होंने सुझाव दिया था कि वादी जाकर भगवान से समाधान पूछें। 6 अक्टूबर को जूता फेंकने पर पकड़े जाने के बाद वकील राकेश किशोर ने नारा लगाते हुए कहा था- सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।’ वहीं घटना के बाद CJI ने अदालत में मौजूद वकीलों से अपनी दलीलें जारी रखने को कहा। उन्होंने कहा कि इस सबसे परेशान न हों। मैं भी परेशान नहीं हूं, इन चीजों से मुझे फर्क नहीं पड़ता।