कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीपावली पर्व मनाया जाता है। पांच दिनों इस महापर्व का प्रारंभ धनतेरस के साथ हो चुका है। धनतरेस के बाद नरक चतुर्दशी जिसे छोटी दिवाली के नाम से जानते है। उसके अगले दिन दीपावली का पर्व मनाया जाता है। कई दशकों के बाद दिवाली पर एक साथ कई शुभ योग और राजयोग का निर्माण हुआ है। इस वर्ष दिवाली आठ शुभ योगों में मनाई जाएगी।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज ने दीपावली पर्व एवं उस पर बनने वाले शुभ योगों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस बार लक्ष्मी गणेश पूजा के समय कई राजयोगों का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा आयुष्मान, सौभाग्य और महालक्ष्मी योग भी बनेगा। इस तरह से दिवाली आठ शुभ योगों में मनाई जाएगी। इस तरह का शुभ योग कई दशकों के बाद बनने से इस बार दीपावली सभी के लिए सुख समृद्धि और मंगलमय रहेगी। स्वामी पूर्णानंदपुरी के अनुसार दीवाली पूजा में शुक्र, बुध, चंद्रमा और गुरु की युति से गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल और दुर्धरा आदि राजयोग बन रहे हैं, जिनमें गजकेसरी योग को बहुत ही शुभ माना जाता है। यह योग मान सम्मान का कारक होता है। वहीं हर्ष योग धन में वृद्धि और यश दिलाता है। काहल, उभयचरी और दुर्धरा योग शुभता और शांति दिलाता है। वहीं कई वर्षों बाद इस बार शनि अपनी स्वराशि कुंभ में विराजमान होकर शश महापुरुष राजयोग का निर्माण करेंगे। इसके अलावा आयुष्मान और सौभाग्य योग का निर्माण भी देखने को मिल रहा है।
मुहूर्त में की गयी पूजा अनुष्ठान विशेष फलदाई होती है। मिट्टी की प्रतिमा का पूजन करना आवश्यक है, वहीं पूजा के उपरांत विसर्जन भी अत्यंत आवश्यक है। लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त प्रातः कालीन बेला में 09:17 से 12:03 तक, दोपहर 01:24 से 02:45 तक और सांय कालीन बेला अथवा प्रदोष में 04:06 से 07:06 तक उसके बाद 07:35 से रात्रि पर्यन्त यानि 24:07 मिनट तक रहेगा। पूजा के उपरांत मिट्टी की मूर्तियों को पवित्र नदी में प्रवाहित करें, जिससे मां लक्ष्मी की विशेष कृपा साल भर रहेगी।