छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. एक आयुर्वेदिक डॉक्टर ने बीमार महिला का इलाज एलोपैथिक तरीके से कर दिया जिसके बाद कुछ ही घंटों में उसकी मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि इलाज में लापरवाही की वजह से महिला की जान चली गई.
इस मामले को लेकर पीड़ित परिवार ने महिला की लाश को अस्पताल के बाहर रखकर प्रदर्शन शुरू कर दिया. वहां काफी लोगों की भीड़ जुट गई. अस्पताल प्रबंधन ने इसकी सूचना पुलिस को दी जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस लोगों को समझाने की कोशिश करने लगी. आरोप है कि पुलिस ने शव को हटाने के लिए परिजनों पर दबाव बनाया. इस दौरान पुलिस और परिजनों के बीच कहासुनी भी हो गई. अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों पर ही लापरवाही का आरोप लगा दिया.
जानकारी के अनुसार स्विग्गी क्षेत्र के मन्नाडोल में रहने वाली 65 साल की महिला कालिंद्री बाई सूर्यवंशी की तबीयत बीते रविवार को बिगड़ गई थी. उसे लगातार उल्टी-दस्त हो रहे थे. इस बीच परिजन बुजुर्ग महिला को लेकर त्रिपुरा के संजीवनी क्लीनिक पहुंचे.
डॉक्टर की गैर मौजूदगी में अस्पताल के स्टाफ ने डॉक्टर से फोन पर संपर्क कर महिला का उपचार शुरू कर दिया. बता दें कि जिस संजीवनी अस्पताल में महिला को भर्ती कराया गया था वहां आयुर्वेदिक दवाइयों से लोगों का इलाज होता था.
लेकिन इस मामले में अस्पताल में मौजूद नर्स और कंपाउंडर ने गंभीर रूप से बीमार कालिंद्री बाई सूर्यवंशी का उपचार एलोपैथिक तरीके से कर दिया. बाद में इस पूरे मामले में अस्पताल के संचालक और आयुर्वेदिक डॉक्टर नितिन सी योगी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस मामले में स्टाफ के साथ उनकी टेलिफोनिक बातचीत हुई थी और उन्होंने ही एलोपैथिक उपचार करने के लिए कहा था क्योंकि महिला की हालत पहले ही गंभीर थी. उन्होंने कहा कि प्राथमिक उपचार के दौरान ही उसकी मौत हो गई और इस पूरे मामले में अस्पताल प्रबंधन की कोई लापरवाही नहीं है.
50000 रुपये देकर मामले को दबाने की कोशिश: परिजन
परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधन 50000 रुपये का प्रलोभन देकर मामले को दबाने की कोशिश कर रहा था. मृतक महिला कालिंद्री बाई के परिजनों ने आरोप लगाया की अस्पताल प्रबंधन ने पहले पुलिस प्रशासन के जरिए दबाव बनाने की कोशिश की फिर पैसा देकर मामले को दबाने लगे.
इस पूरे मामले में अब पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है. वहीं स्वास्थ्य विभाग ने भी इस पूरे मामले में एक जांच समिति बनाई है. जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.