अखिलेश यादव से मुलाकात को लेकर आजम खान की सख्त शर्तें…. चढ़ाया सियासी पारा

आजम खान समाजवादी पार्टी की स्थापना के समय से ही बहुत बड़ी ताकत रहे हैं, और अखिलेश यादव के लेटेस्ट कामयाब फॉर्मूला PDA के लिए फिलहाल महत्वपूर्ण फैक्टर हैं. आजम खान से अखिलेश यादव की मुलाकात को भी यही बात महत्वपूर्ण बनाती है – और मुलाकात के लिए मौका भी खास तौर पर चुना गया है. समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव के आजम खान से मिलने जाने की तारीख और रूट ऐसे प्लान किया है, जो हर हिसाब से राजनीतिक रूप से फायदेमंद हो सके. बरेली के माहौल को देखते हुए प्रशासन अखिलेश यादव को मुरादाबाद होकर जाने को कह रहा था, जबकि समाजवादी पार्टी अपने रूट पर ही कायम रहने की जिद पर अड़ी हुई थी. अखिलेश यादव रामपुर वाया मुरादाबाद जाने पर सहमत नहीं हुए. बीच का रास्ता ये निकला कि अखिलेश यादव बरेली से हेलीकॉप्टर से रामपुर रवाना हुए.
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी और भरोसेमंद नेता रहे आजम खान की नाराजगी स्वाभाविक है. गुजरते वक्त के साथ आजम खान की अहमियत बदल गई है, वरना कभी यूपी के साढ़े चार मुख्यमंत्रियों वाले जुमले में कुछ लोग उनको भी एक किरदार मानते थे. लालू यादव की तरह मुलायम सिंह यादव की M-Y समीकरण की सियासत तो आजम खान के भरोसे ही फली फूली थी. 2022 के विधानसभा चुनाव में भी सबसे ज्यादा मुस्लिम विधायक समाजवादी पार्टी के खाते में ही आए थे, और पिछले लोकसभा चुनाव में भी मुस्लिम वोटों का बड़ा योगदान रहा. आजम खान ने अखिलेश यादव से मिलने के लिए पहले से जो शर्तें रख दी हैं, वे उनके दिल की जुबान लगती हैं. जेल से छूट कर आने के बाद से आजम खान इशारों इशारों और शेरो-शायरी के माध्यम से तो बहुत कुछ बताने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन अखिलेश यादव से मुलाकात की शर्तें रखकर लगता है, वो खुलकर सामने आ गए हैं.
अखिलेश यादव के साथ होने वाली इस मीटिंग में कोई तीसरा शामिल न हो, यह मुलाकात केवल दो लोगों की हो. न मेरी पत्नी मिलेगी, न मेरा बेटा अब्दुल्लाह मिलेगा. अखिलेश यादव के साथ भी उनकी सिक्योरिटी के अलावा कोई अन्य नेता या व्यक्ति मेरे घर में न आए.
सुरक्षाकर्मियों को छूट मिल सकती है, लेकिन रामपुर के समाजवादी सांसद मोहिबुल्ला नदवी को भी नहीं.
आजम खान ने एक इंटरव्यू में कहा है, वो आएंगे… ये मेरे लिए सम्मान की बात है… वो कोई पहली बार नहीं आ रहे हैं… उनका मेरी आत्मा, मेरे शरीर पर हक है. उनके आने से मुझे खुशी होगी, मेरी इज्जत बढ़ेगी… लेकिन, मैं चाहता हूं कि केवल वही आएं.
आजम खान के पास पहले से ही जवाब तैयार होता है, मैं केवल उनसे ही मिलूंगा… मैं भला औरों से क्यों मिलूं? इतने समय मेरे परिवार की खबर किसने ली? मेरी बीवी ईद पर अकेले बैठी रोती रही… कोई आया? किसी ने फोन किया? तो अब किसी को क्यों मिलना चाहिए? अखिलेश यादव के साथ समाजवादी पार्टी नेताओं का बड़ा काफिला भी चलता है. अगर इलाके में समाजवादी पार्टी के सांसद और विधायक हैं, तो वे भी साथ हो जाते हैं. लेकिन, आजम खान की शर्तों के हिसाब से देखें तो रामपुर के सांसद भी अखिलेश यादव के साथ उनसे मिलने नहीं जा सकते.
रामपुर के मौजूदा सांसद मौलाना मोहिबुल्ला नदवी का जिक्र आने पर आजम खान साफ तौर पर बोल देते हैं, मैं उन्हें जानता ही नहीं. आजम खान की ये शर्तें उनकी नाराजगी का पैमाना पेश कर रही हैं – और यही नाराजगी अखिलेश यादव की तरफ से खोजे गए सफलता के सूत्र PDA को भारी पड़ सकती हैं. 2024 के आम चुनाव में मिली कामयाबी के बाद अखिलेश यादव पीडीए को समाजवादी पार्टी के लिए यूपी में सत्ता की सीढ़ी के तौर पर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं. अखिलेश यादव के पीडीए में A अल्पसंख्यक है. पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक. इसी फॉर्मूले के भरोसे अखिलेश यादव 2027 के यूपी चुनाव की तैयारियां आगे बढ़ा रहे हैं.