बांग्लादेशी घुसपैठियों पर बड़ा खुलासा..रायपुर से बनवाए थे फर्जी दस्तावेज

छत्तीसगढ़ : दुर्ग जिला पुलिस ने पिछले दिनों जिन पांच बांग्लादेशी घुसपैठियों को गिरफ्तार किया है वे फर्जी दस्तावेज के जरिए भारत की नागरिकता हासिल कर चुके थे। उनके आधारकार्ड, पैनकार्ड, राशनकार्ड बन चुके थे। बैंक खाता तक उन्होंने खुलवा रखा था। पुलिस ने जब दस्तावेजों की जांच की तो पता चला कि आरोपियों के दस्तावेज महाराष्ट्र, प. बंगाल और रायपुर में तैयार किए गए थे। अब पुलिस उन ठिकानों में दबिश देने की तैयारी में हैं, जहां ये दस्तावेज तैयार हुए। पुलिस को लग रहा है कि इन ठिकानों में दबिश देने के बाद कई और घुसपैठियों के बारे में जानकारी मिल सकती है। बहरहाल पुलिस की जांच जारी है। अब तक पकड़े गए घुसपैठियों के पास से पुलिस को मतदाता परिचय पत्र भी मिल हैं। इनमें से अधिकांश घुसपैठियों के पास से आधार कार्ड दो प्रकार का जब्त हुआ है। इसमें एक बंगाल तो दूसरा दुर्ग जिले का है।
फोन डेटा की जांच के दौरान यह सामने आ रहा है कि पकड़े गए घुसपैठियों द्वारा आईएमओ नामक मोबाइल एप के जरिए बांग्लादेश में मौजूद अपने परिवार वालों से लगातार संपर्क किया जा रहा था। इससे खुलासा हो गया कि ये सभी लोग बांग्लादेशी नागरिक हैं, जो अवैध तरीके से भारत में प्रवेश कर यहां फर्जी दस्तावेज के सहारे निवास कर रहे थे। पुलिस ने अब तक पांच बांग्लादेशी को पकड़ा है, जिसमें बाधा जोतिन जाधवपुर पश्चिम बंगालदेश निवासी सपना मंडल उर्फ सपना नूर उर्फ सपना, आसनसोल लखीमपुर पश्चिम बंगाल रानी पासवान उर्फ खुशबू बेगम दोनों हाल ही का ठिकाना जयंती नगर दुर्ग है। ग्राम बाला पोस्ट रघुनाथ नगर झीकारगाछा जिला जेस्सारे बांग्लादेश शहीदा खातुन उर्फ ज्योति रासेल, मो. रासेल शेख और दाधीरपार, दौलतपुर फूलवारी पोस्ट बादामतला सिरमोनी बांग्लादेश पन्ना बीबी उर्फ अंजली सिंह उर्फ काकोली घोष है।
दुर्ग एसएसपी विजय अग्रवाल ने बताया कि, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और रायपुर से फर्जी दस्तावेज बनाए गए हैं। इस संबंध में सक्षम अधिकारी से पत्र व्यवहार किया गया है। विशेष वाहक भी भेजा गया है। दस्तावेज बनाने में किन-किन लोगों का हाथ है। इसे बनाने में क्या क्या दस्तवेज पेश किया गया है। इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। बनाने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
जांच में यह भी सामने आया है कि बांग्लादेशी घुसपैठिए सीमा पार करके पश्चिम बंगाल पहुंचते हैं। जहां से वे ट्रेनों में सवार होकर छत्तीसगढ़ और आसपास के राज्यों में आते हैं। यहां पहुंचने पर, उन्हें रिसीवर मिलते हैं जो उन्हें दिहाड़ी मजदूरी, कूड़ा बीनने, रेहड़ी-पटरी लगाने या ढाबों पर काम करने जैसे कामों में लगा देते हैं। दुर्ग जिले की पुलिस ने हाल ही में पांच लोगों को पकड़ा है। जिन्हे इस तरह से काम पर लगाया गया था। पुलिस इस पूरे मामले की छानबीन कर रही है।
05 की गिरफ्तारी. 1200 से पूछताछ. 700 पर धारा 128 बीएनएस के तहत कार्रवाई. 1100 ठेका श्रमिकों से पूछताछ. 55 श्रमिकों को उनके जिले भेजा