छत्तीसगढ़ : कोरबा के पाली विकासखंड के ग्राम परसदा स्थित हनुमान तालाब किनारे पीपल पेड़ के नीचे हीट स्ट्रोक से प्रति दिन 10 से 15 चमगादड़ों की मौत हो रही है। सप्ताह भर के भीतर 100 से अधिक चमगादड़ों की मौत हो गई है। सफाई के लिए तालाब से पानी निकालने की वजह से संकट और अधिक गहरी हो गई है। बड़ी संख्या में हुई चमगादड़ों की मौत के बाद वन विभाग के अफसर हरकत में आ गए हैं। मृत चमगादड़ों की पीएम की प्रक्रिया के अलावा पक्षियों के बचाव को लेकर जल संकट दूर करने के उपाय किए जा रहे हैं। इस गर्मी से पाली क्षेत्र भी अछूता नहीं रहा है। क्षेत्र में भी तापमान विगत कुछ दिन से 45 डिग्री के आसपास स्थिर है। जिससे चमगादड़ों की शामत आ गई है। भीषण गर्मी के कारण ही बड़ी संख्या में ये बेजुबान जीव बेमौत मारे जा रहे हैं। पाली ब्लाक में अभी भी काफी हरियाली है और अधिकांश आबादी वनांचल में निवास करती है। यही कारण है कि यहां वन्य जीव और वन संपदा, हरियाली भरपूर है। जहां विभिन्न प्रजाति के पशु पक्षी रहवास करते हैं। गांव के बाहर तालाबों के किनारों पर वृक्षों की कतार दिख जाएगी। जिसमें विशेष कर विविध पक्षियों का बसेरा-डेरा रहता है। विकासखंड पाली मुख्यालय सहित कुछ गांव में बड़ी संख्या में तालाब के किनारे के पेड़ों पर चमगादड़़ दिख जाते हैं। क्षेत्र में पड़ रही भीषण गर्मी चपेट का असर इन पर दिखने लगा है। यह ही है। स्तनधारी जीव 45 डिग्री तापमान को सहन नहीं कर पा रहे और पेड़ से गिर कर उनकी मौत हो रही है। परसदा गांव के हनुमान तालाब के तट पर वर्षों से चमगादड़ों का बसेरा है। इस बार क्षेत्र में हुई तापमान में वृद्धि और क्षेत्र में पेयल संकट के कारण अधिक संख्या में इनकी मौत हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि सुबह शाम जब सैकड़ों की संख्या में चमगादड़ तालाब के ऊपर उड़ान भरते थे तो आसमान छा जाता था। इनका कलरव इस साल बार सुनाई नहीं दे रहा है। तालाब की सफाई कार्य के कारण पानी निकालने से इनकी संख्या में अभूतपूर्व कमी दिख रही है। पाली क्षेत्र में दर्जनों की संख्या में चमगादड़ों की मौत के बाद वन विभाग के अफसर गांव पहुंचे। जहां मृत चमगादड़ों को एकत्र किया गया। रविवार को पशु चिकित्सकों ने पोस्टमार्टम किया । वन कर्मियों मृत स्तनधारी जीव का अंतिम संस्कार किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत का कारण की और भी अधिक विस्तृत जानकारी प्राप्त हो सकेगी।
