महंगाई के मोर्चे पर सरकार और रिजर्व बैंक के प्रयासों को लगातार सफलता मिलती दिख रही है. खुदरा महंगाई के बाद अब थोक महंगाई में भी नरमी देखने को मिली है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई महीने में थोक महंगाई की दर 13.93 फीसदी रही. इससे पहले जून महीने में थोक महंगाई 15.18 फीसदी रही थी.
करीब दो दशक के उच्च स्तर पर थी महंगाई
जुलाई महीने के थोक महंगाई के आंकड़े सरकार को राहत प्रदान करने वाले हैं. इससे पहले लगातार तीन महीने थोक महंगाई की दर 15 फीसदी से ऊपर रही थी. जून से पहले मई महीने में इसकी दर 15.88 फीसदी रही थी.
डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2022 में थोक महंगाई की दर बढ़कर 15.08 फीसदी पर पहुंच गई थी. इसके बाद मई में थोक महंगाई ने नया रिकॉर्ड बना दिया था. हालांकि जून में आंकड़ों में कुछ नरमी आई थी. साल 1998 के बाद ऐसा पहली बार हुआ था, जब थोक महंगाई की दर 15 फीसदी के पार निकली थी. इससे पहले साल 1998 के दिसंबर महीने में थोक महंगाई 15 फीसदी से ऊपर रही थी. अब यह फिर से 15 फीसदी के नीचे आ गई है.
लगातार दूसरे महीने आई नरमी
जुलाई लगातार दूसरा ऐसा महीना रहा है, जब थोक महंगाई में कमी देखने को मिली है. हालांकि जुलाई लगातार 14वां ऐसा महीना रहा है, जब थोक महंगाई की दर 10 फीसदी से ज्यादा रही है. हाल के महीनों के आंकड़ों को देखें तो पिछले एक साल से थोक महंगाई लगातार बढ़ रही थी और जून महीने से इस ट्रेंड पर ब्रेक लगा है. इस साल फरवरी में थोक महंगाई थोड़ी कम होकर 13.43 फीसदी पर आई थी. हालांकि इसके बाद रूस-यूक्रेन जंग (Russia-Ukraine War) शुरू हो जाने के चलते कच्चे तेल की कीमतें आसमान छूने लगी और कई जरूरी चीजों के दाम बढ़ने लगे. इसका परिणाम हुआ कि महंगाई की दर भी तेजी से बढ़ने लगी. मार्च महीने में थोक महंगाई एक फीसदी से ज्यादा उछलकर 14.55 फीसदी पर पहुंच गई थी.
खुदरा महंगाई ने भी दी है राहत
भारत में भले ही महंगाई दर काबू होने लगी हो, दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अभी भी इसके कारण परेशान हैं. भारत की खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation Rate) में भी गिरावट आने लगी है. जुलाई में खुदरा महंगाई कम होकर पांच महीने के निचले स्तर 6.71 फीसदी पर आ गई. हालांकि यह अभी भी रिजर्व बैंक के अपर लिमिट 6 फीसदी से ऊपर है. खुदरा महंगाई लगातार सातवें महीने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के तय लक्ष्य की सीमा से ऊपर है. इससे पहले जून महीने में खुदरा मुद्रास्फीति कुछ कम होकर 7.01 प्रतिशत रही थी. मई में खुदरा महंगाई की दर 7.04 फीसदी रही थी. अप्रैल के महीने में खुदरा मंहगाई दर 7.79 फीसदी रही थी. रिजर्व बैंक खुदरा महंगाई की दर के हिसाब से नीतिगत दरों पर फैसला लेता है.