इस्लामाबाद: कश्मीर की रट लगाए पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने आखिरकार भारत आने का ऐलान कर दिया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा है कि बिलावल भुट्टो जरदारी अगले महीने गोवा में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगे। पिछले करीब 1 दशक में यह किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री की यह पहली यात्रा है। इससे पहले पाकिस्तान और बिलावल ने कश्मीर में अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल करने की रट लगा रखी थी लेकिन आखिरकार दोनों को झुकने के लिए मजबूर होना पड़ा है। आइए जानते हैं कि बिलावल भुट्टो ने अचानक से अपने रुख में कैसे यह बदलाव किया।
बिलावल भुट्टो ऐसे समय पर भारत आ रहे हैं जब उन्होंने कुछ समय पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बहुत ही विवादित टिप्पणी की थी। इस पर भारत ने पाकिस्तान और बिलावल दोनों को बहुत करारा जवाब दिया था। अब बिलावल भुट्टो 4 और 5 मई को होने वाले एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए गोवा आने को तैयार हो गए हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने बिलावल के भारत जाने का ऐलान किया।
इससे पहले जनवरी में एससीओ की अध्यक्षता कर रहे भारत ने इस बैठक के लिए पाकिस्तान को आमंत्रित किया था। इसके अलावा पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को भी एससीओ की बैठक के लिए आमंत्रित किया गया है। इस ऐलान के बाद अब साफ हो गया कि आसिफ भी बैठक में हिस्सा लेंगे लेकिन यह भागीदारी वह आकर करेंगे या वर्चुअल, यह अभी तय नहीं है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के इस ऐलान को बिलावल समेत शहबाज सरकार के रुख में बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
दरअसल, पाकिस्तान में बिलावल की यात्रा को लेकर दो फाड़ हो गया था। एक गुट चाह रहा था कि भारत के साथ खराब रिश्तों को देखते हुए केवल जूनियर अधिकारियों को भारत भेजा जाए। वहीं दूसरा पक्ष इससे सहमत नहीं था। इस गुट का कहना था कि एससीओ में चीन और रूस जैसे शक्तिशाली देश हैं, ऐसे में पाकिस्तान को इस मौके का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करना चाहिए। पाकिस्तान कंगाली से जूझ रहा है और देश के डिफॉल्ट होने का खतरा मंडरा रहा है। अगर चीन ने अरबों डॉलर का ताजा लोन नहीं दिया होता तो पाकिस्तान अब तक डिफॉल्ट हो चुका होता।
माना जा रहा है कि पाकिस्तान ने बिलावल की यात्रा को लेकर चीन के साथ विचार विमर्श किया है। चीन के सख्त रुख के बाद आखिरकार पाकिस्तानी विदेश मंत्री भारत आने के लिए मजबूर हुए हैं। चीन एससीओ का संस्थापक सदस्य देश है और उसी के कहने पर पाकिस्तान को पूर्ण सदस्यता मिली थी। यही वजह है कि बिलावल भारत आने न्योते को ठुकरा नहीं पाए। एससीओ सदस्यों के लिए यह जरूरी है कि वे अपने द्विपक्षीय विवाद को इस वैश्विक मंच से दूर रखेंगे। बिलावल की इस यात्रा के ऐलान के बाद अब यह भी लगभग तय हो गया है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी भारत आ सकते हैं। शहबाज शरीफ ने यूएई में भारत से दोस्ती की गुहार लगाई थी।