चीन के कई अस्पताल इन दिनों एक अलग ही समस्या से जूझ रहे हैं. यहां के कई हॉस्पिटल में बर्थ और डिलीवरी सेक्शन बंद होने के कगार पर हैं. इसकी वजह है चीन की कम होती जन्म दर. पिछले कुछ सालों से चीन की आबादी लगातार घट रही है. इन दिनों चीन में कम से कम महिलाएं गर्भवती हो रही हैं. इसका सीधा असर अस्पताल पर पड़ रहा है और यहां के बर्थ और डिलीवरी सेक्शन खाली पड़े हैं. शिशुओं की घटती संख्या का मतलब है कि कुछ अस्पताल प्रसूति विभाग को चालू नहीं रख सकते हैं और इस सेक्शन को ही बंद कर रहे हैं. इस बार शिशु जन्म दर काफी कम रहने वाली है और अस्पतालों को ‘सूखे’ का सामना करना पड़ेगा.
दक्षिणी जियांग्शी समेत कई राज्यों के अस्पतालों ने पिछले दो महीनों में घोषणा की है कि वे अपने प्रसूति विभाग बंद कर देंगे. चीन के अस्पताल अब प्रसूति विभाग को बंद कर अपना संसाधन ओल्ड केयर यानी कि बुजुर्गों की सेवा में लगा रहे हैं. इसकी वजह है कि चीन में बुजुर्गों की आबादी लगातार बढ़ रही है और उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं की ज्यादा जरूरत भी पड़ रही है. चीन के सामने चुनौती अपने विशाल श्रम बाजार के लिए लेबर फोर्स खोजने की है. कम आबादी का साफ मतलब है कि काम करने के लिए कम लोग. ये एक ऐसी समस्या है जो 21वीं सदी में दुनिया की नंबर वन आर्थिक ताकत बनने की चीनी महात्वाकांक्षा के सामने बाधा बनकर खड़ी हो रही है.
2023 में चीन की जनसंख्या में लगातार दूसरे वर्ष गिरावट आई है. रिकॉर्ड कम जन्म दर और कोविड-19 के कारण उच्च मौतों ने आबादी के घटते ट्रेंड को और भी बढ़ा दिया है. अधिकारियों को डर है कि अर्थव्यवस्था की विकास क्षमता पर इसका दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा.