Bisleri कंपनी चलाने में अब नहीं रुचि! जानिए क्या करती हैं जयंती चौहान

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भारत की सबसे बड़ी पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर कंपनी बिसलेरी बिक रही है. बिसलेरी के पानी बॉटल को देश के हर एक कोने तक पहुंचाने वाले कंपनी के चेयरमैन रमेश चौहान उत्तराधिकारी के अभाव में इसे बेच रहे हैं. उनकी बेटी जयंती चौहान की दिलचस्पी बिसलेरी के कारोबार में नहीं है. इस वजह से रमेश चौहान बिसलेरी के लिए खरीदार तलाश रहे हैं. रमेश चौहान की इकलौती बेटी जयंती चौहान की उम्र 37 साल है और ये बिसलेरी कंपनी की वाइस चेयरपर्सन हैं. लेकिन खबरों की मानें तो उनकी रुचि बिसलेरी के कारोबार में नहीं है.

जयंती चौहान का बचपन दिल्ली, बॉम्बे और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में बिता है. हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने प्रोडक्ट डेवलपमेंट की पढ़ाई करने के लिए फैशन इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन एंड मर्चेंडाइजिंग में दाखिला लिया था. ये इंस्टीट्यूट लॉस एंजिल्स में है. जयंती ने लंदन कॉलेज ऑफ फैशन से फैशन स्टाइलिंग और फोटोग्राफी की भी पढ़ाई की है. जयंती ने कई प्रमुख फैशन हाउस में इंटर्न के तौर पर काम भी किया है. उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज से अरबी में भी डिग्री हासिल की है.

जयंती ने 24 साल की उम्र में अपने पिता की देखरेख में बिसलेरी के कारोबार को संभालने की शुरुआत की थी. पहले उन्होंने दिल्ली ऑफिस के कामकाज को संभाला. यहां उन्होंने प्लांट का रिनोवेशन किया और ऑटोमेशन प्रोसेस पर फोकस किया. एक मजबूत टीम के लिए उन्होंने एचआर, सेल्स और मार्केटिंग जैसे डिपार्टमेंट को नए रूप में तैयार किया. साल 2011 में जयंती ने मुंबई ऑफिस के भी कार्यभार को संभाल लिया था.

जयंती ने न केवल नए प्रोडक्ट के डेवलपमेंट पर काम किया. बल्कि वो बिसलेरी मिनरल वाटर, हिमालया के वेदिका नेचुरल मिनरल वाटर (लक्जरी सेगमेंट), फिजी फ्रूट ड्रिंक्स और बिसलेरी हैंड प्यूरीफायर के ऑपरेशन को व्यवस्थित करने में एग्रेसिव रूप से शामिल रहीं. वो कंपनी के विज्ञापन और कम्युनिकेशन डेवलपमेंट में भी पूरी तरह से शामिल रहती थीं.

उन्होंने बिसलेरी के सेल्स और मार्केटिंग टीम का नेतृत्व भी किया. मार्केट में कंपनी के प्रदर्शन और ब्रान्ड वैल्यू वो खुद सुनिश्चित करती थीं. जयंती चौहान ट्रैवलर, एनिमल लवर और शौकिया फोटोग्राफर हैं. लेकिन अब कंपनी के कारोबार में उनकी दिलचस्पी नहीं रह गई है. रमेश चौहान अपनी खराब स्वास्थ्य और बेटी जयंती की व्यवसाय में रुचि की कमी के कारण कंपनी को बेचना चाहते हैं. फिलहाल जयंती बिसलेरी कंपनी से जुड़ी हैं, लेकिन फैशन क्षेत्र में उनकी गहरी रुचि हैं और वो अधिकतम समय लंदन में रहती हैं.

ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक रमेश चौहान ने कहा कि बिसलेरी से अलग होना एक मुश्किल फैसला है. चूंकि उनका कंपनी चलाने का कोई इरादा नहीं है, इसलिए चौहान ने कहा कि वो अल्पमत हिस्सेदारी नहीं रखेंगे, बल्कि पर्यावरण और धर्मार्थ कार्यों में निवेश करेंगे. अनुमान लगाया जा रहा है कि बिसेलरी 6,000-7,000 करोड़ में बिक सकती है.

बिसलेरी को रमेश चौहान ने साल 1969 में चार लाख रुपये में खरीदा था. तब चौहान की उम्र 28 साल थी. अब 82 वर्ष के हो चुके रमेश चौहान बिसलेरी के कारोबार को आगे बढ़ाने में सक्षम नहीं हैं. इस वजह वो अपनी कंपनी के लिए खरीदार की तलाश में हैं.

बिसलेरी एक इतालवी कंपनी थी, जिसे 1965 में फेलिस बिसलेरी ने स्थापित किया गया था. इसी साल कंपनी ने भारत में कदम रखा. फिर साल 1969 में चौहान के नेतृत्व वाले पारले एक्सपोर्ट्स ने बिसलेरी को खरीद लिया. तब पारले एक्सपोर्ट्स अपने पोर्टफोलियो को पूरा करने के लिए एक ब्रांडेड सोडा की तलाश में थे. बिजनेस टुडे के साथ 2008 के एक इंटरव्यू में चौहान ने कहा था कि 60 के दशक के अंत और 70 के दशक की शुरुआत में फाइव स्टार होटलों से सोडा की अच्छी मांग थी. बिसलेरी सोडा लोकप्रिय था, यही वजह है कि मैंने कंपनी खरीदी थी.