गुजरात में विधानसभा चुनाव में अब अधिक दिन नहीं बचे हैं। एक तरफ जहां कांग्रेस अंदरुनी कलह को थामने में जुटी है तो आम आदमी पार्टी (आप) ने 10 उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी कर दी है। इस बीच सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी मिशन 150 के लिए गोटियां सेट करने में जुटी है। भाजपा एक-एक सीट पर माइक्रो मैनेजमेंट पर जोर दे रही है। पाटीदार, ओबीसी, आदिवासी जैसे प्रभावशाली वर्गों को ध्यान में रखकर रणनीति तैयार की जा रही है।
गुजरात विधानसभा की कुल 182 सीटों में से 48 से अधिक पर 40 ओबीसी जातियों का प्रभाव है। भाजपा ने इन सीटों पर वोटर्स को साधने के लिए ओबीसी मोर्चा को काम पर लगा रखा है। मोर्चा ने पिछले तीन महीने में ओबीसी में आने वाली 40 जातियों के नेताओं से मुलाकात की है। राज्य के 33 जिलों में ओबीसी वर्ग के लिए अलग-अलग कार्यक्रम किए गए हैं। चुनाव नजदीक आने के साथ ही पार्टी ने ओबीसी मोर्चा को और अधिक एक्टिव कर दिया है। ओबीसी जातियों के धार्मिक और सामुदायिक नेताओं से लगातार संपर्क किया जा रहा है।
सीआर पाटिल ने भी संभाला मोर्चा
ओबीसी मोर्चा के साथ ही खुद प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल भी इन 40 जातियों पर विशेष फोकस कर रहे हैं। वह खुद भी ‘एक दिन-एक जिला’ प्रोग्राम के तहत स्थानीय नेताओं से संपर्क साध रहे हैं। इन नेताओं की जल्द ही मुख्यमंत्री से भी मुलाकात कराए जाने की योजना है। इन नेताओं से उनकी समस्याओं पर भी बात की जा रही है और नई सरकार बनने पर उन्हें प्राथमिकताओं से दूर करने का भरोसा दिया जा रहा है।
किन इलाकों में है ओबीसी का प्रभाव
ओबसी में गुजरात में करीब 40 जातियां हैं। ठाकोर समाज, चौधरी समाज, पांचाल समाज, रबारी समाज का जहां उत्तरी गुजरात में अधिक प्रभाव है तो कच्छ, सौराष्ट्र में अहीर समाज, मेर समाज, देसाई समाज आदि का असर है। ढाई साल से सत्ता पर काबिज भाजपा को पिछले चुनाव में कांग्रेस से कठिन चुनौती का सामना करना पड़ा था तो इस बार आम आदमी पार्टी ने लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है। ऐसे में भाजपा किसी भी सीट को हल्के में में नहीं ले रही है।