राजस्थान के कोचिंग नगरी में अकादमिक असफलताओं के कारण कई युवा मौत को गले लगा रहे हैं. उन्हें शायद लगने लगता है कि उनके संघर्ष का अब अंत हो चुका है जबकि हकीकत में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. अभ्यर्थी सिर्फ पूरे दिन एक कोने में बैठकर पढ़ाई करके ही नहीं बल्कि पढ़ते-पढ़ते वेब सीरीज और फ़िल्में देखकर भी अपने मुकाम को हासिल कर सकता है. यह सीए परीक्षा में टॉप 10 में रहे जयपुर के वैभव माहेश्वरी ने करके भी दिखाया है.
वैभव माहेश्वरी ने इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के फाइनल रिजल्ट में ऑल इंडिया 10th रैंक हासिल की है. वो राजस्थान में नंबर एक पर काबिज हुए है. वैभव की इस उपलब्धि के बाद उनके नाते-रिश्तेदारो ही नहीं पूरे राजस्थान को उन पर गर्व है. यहीं वजह है कि आज हर कोई उन्हें इस उपलब्धि पर बधाईयां दे रहा है लेकिन इन बधाईयों के पीछे वैभव के परिजनों का भी अहम रोल रहा है जिन्होंने वैभव को हमेशा फ्री माइंड रखा.
पेरेंट्स ने उन पर कभी किसी तरह का कोई दबाव नहीं बनाया. यही वजह है कि वैभव माहेश्वरी ने पढ़ाई के साथ-साथ खुद को सोशल मीडिया में भी इंगेज रखा. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर खूब स्टोरीज लगाई और फ्री समय में फिल्मों का भी आनंद लिया. यहीं नहीं अपने पुरखों की चाय-कचौरी की दुकान पर भी पापा का हाथ बंटाया और ग्राहकों को चाय पिलाने के साथ-साथ कचौरी भी खिलाई और अपनी पढ़ाई जारी रखी.
यही रूटीन बना सक्सेस मंत्र
ऑल इंडिया 10th रैंक हासिल करने वाले वैभव माहेश्वरी ने aajtak.in से बताया कि मैं हर दिन 10 घंटे तक पढ़ाई करता रहा लेकिन कभी पढ़ाई का दिमाग पर लोड नहीं लिया. कभी फ्रस्ट्रेट होता भी तो सोशल मीडिया पर समय बिताने के साथ ओटीटी पर वेब सीरीज भी देखता था. इसके लिए उनके बड़े भाई सीए वरुण माहेश्वरी हमेशा गाइड करते थे और डिप्रेशन से फ्री रखते थे तब जाकर आज यह मुकाम मिला है.
पुश्तैनी दुकान पर चाय-कचौरी भी बेची
मानसरोवर में चाय- कचोरी का रेस्टोरेंट चलाने वाले वैभव के पिता अरुण माहेश्वरी ने बताया कि उनकी तीन पीढ़ी से चाय-कचौरी का छप्परवाड़ रेस्टोरेंट चल रहा है. यहां कई बार वैभव भी आकर हाथ बंटाता था लेकिन आज उसकी मेहनत रंग लाई. पूरे परिवार-समाज और राजस्थान को उस पर गर्व है. डांस क्लासेज चलाने वाली वैभव की मां प्रीति माहेश्वरी ने कहा कि जैसे कोहिनूर का हीरा निकलता है तो चारों ओर रौशनी फैलाता है. ठीक वैसे ही बेटे वैभव ने सबका नाम रोशन किया है. इसके साथ ही वैभव की दादी गीतादेवी ने भी पोते की इस उपलब्धि पर गर्व जाहिर किया.