कार्बाइड गन से 150 लोगों की आंखों की रोशनी गई, एमपी के अस्पतालों में 300 लोग पहुंचे

दिवाली पर पटाखों के विकल्प में चलाई गई देसी कार्बाइड गन से मध्य प्रदेश में अब तक 300 लोगों की आंखें जख्मी हुई हैं। नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुसार, करीब 50% मरीजों की आंखों की रोशनी फिलहाल जा चुकी है। इनमें बच्चों से लेकर बड़े तक शामिल हैं. त्योहार की रौनक के बीच बाजारों में पीवीसी पाइप से बनी देसी गन खुलेआम बिक रही थी. लोग इसे पटाखे की तरह समझकर घर ले आए, लेकिन किसी को अंदाज़ा नहीं था कि यह खिलौना नहीं, बल्कि एक खतरनाक विस्फोटक यंत्र है. दीपावली की रात शहर के अलग-अलग हिस्सों से धमाके, झुलसने और आंखों में चोट की खबरें आने लगीं. डॉक्टरों के मुताबिक, यह गन कैल्शियम कार्बाइड और पानी के मिश्रण से चलती है. जब पानी इसमें डाला जाता है, तो रासायनिक प्रतिक्रिया से गैस बनती है और पाइप में दबाव बढ़ने से जोरदार धमाका होता है. इसी गैस और चिंगारी से आंखों और चेहरे पर गंभीर चोट लगती है.

नेत्र विशेषज्ञ बताते हैं कि यह कोई खिलौना नहीं है. इसमें होने वाली रासायनिक प्रतिक्रिया से इतनी गर्मी और प्रेशर बनता है कि पलकें, कॉर्निया और रेटिना तक जल जाती हैं. पुलिस के अनुसार, दीपावली से कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर इन देसी गन्स के वीडियो वायरल हुए, जिसके बाद कई स्थानीय दुकानों ने इन्हें बेचना शुरू कर दिया. लोगों ने इसे पटाखे की तरह खरीदा, लेकिन इसकी असली खतरनाकी से अनजान रहे.

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