तमिलनाडु के चिदम्बरम में श्री थिल्लई नटराज मंदिर के 10 दीक्षितारों (पुजारियों) पर मामला दर्ज किया है। इन लोगों के खिलाफ हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग HR&CE के अधिकारियों ने चिदंबरम पुलिस में शिकायत दर्ज की थी कि दीक्षितारों ने उन्हें कर्तव्य पालन करने से रोका। थिल्लई काली मंदिर की कार्यकारी अधिकारी सरन्या ने के मुताबिक शनिवार 24 जून को मंदिर जाने के उन्हें प्रतिबंध वाला बोर्ड हटाने से रोका गया था। अधिकारी के मुताबिक यह तमिलनाडु सरकार के आदेश का उल्लंघन था। पुलिस ने पोथु दीक्षित समिति के सचिव शिवराम दीक्षित और 10 अन्य दीक्षितारों के खिलाफ 5 धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है। गौरतलब है कि पिछले दिनों 2 दीक्षितारों ने बुजुर्ग को थप्पड़ मारा था, जिसके बाद उन पर भी केस दर्ज किया गया है।
पूरा मामला यह है
श्री थिल्लई नटराज मंदिर में पिछले दिनों अणि थिरुमंजनम उत्सव था। मंदिर के वंशानुगत संरक्षक-सह-अर्चक पोथु दीक्षितार ने कनकासाभाई मंडपम के सामने बोर्ड लगाकर घोषणा की थी कि भक्तों को कुछ दिनों के लिए मंडपम के ऊपर से पूजा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। दीक्षितों का कहना था कि त्योहारों के दौरान भक्तों को कनकसाभाई मंडपम पर चढ़ने से रोकने की व्यवस्था प्राचीन काल से चली आ रही है। जब महिला अधिकारी बोर्ड हटाने गईं तो दीक्षितों ने उन्हें घेर लिया और बोर्ड हटाने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी। कुछ ने उन्हें धक्का भी दिया।
दीक्षितारों का आरोप- तमिलनाडु सरकार मंदिर प्रशासन पर कब्जा चाहती है
दीक्षितारों के कानूनी सलाहकार जी.चंद्रशेखर ने आरोप लगाया कि तमिलनाडु सरकार का मानव संसाधन और सीई विभाग पिछले एक साल से कई हथकंडे अपनाकर मंदिर का प्रशासन अपने हाथ में लेने की कोशिश कर रहा है। अधिकारियों ने पुलिस सुरक्षा के साथ बोर्ड को हटाया। राज्य सरकार दीक्षितों से हिसाब बराबर करने के लिए पुलिस तंत्र का दुरुपयोग कर रही है।
उन्होंने कहा- हम भगवान नटराज और अदालतों में विश्वास करते हैं और कानूनी रूप से इस मुद्दे का सामना करेंगे। सरकार ने पहले भी मंदिर पर नियंत्रण के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 6 जनवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि HR&CE का मंदिर पर कोई अधिकार नहीं है।