17 जुलाई को देवशयनी एकादशी है और इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत भी होने जा रही है और चातुर्मास का समापन 12 नवंबर देवउठनी एकादशी पर होगा. ज्योतिषियों की मानें तो, शास्त्रों में चातुर्मास से जुड़े कुछ नियम बताए गए हैं, जिन्हें मानना बेहद आवश्यक होता है. देवशयनी एकादशी से जैसे ही भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं वैसे ही चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है और मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. चातुर्मास से विवाह-सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन, 16 संस्कार ये सभी कार्य वर्जित माने जाते हैं. साथ ही ब्रजधाम जैसे शुभ जगहों की यात्रा भी नहीं करनी चाहिए. इसके अलावा इस चातुर्मास में मांस मदिरा, अनैतिक कार्य और झूठ जैसे कार्यों से बचना चाहिए.
चातुर्मास में श्रीहरि के नाम का जाप करना चाहिए. साथ ही हर रोज सत्यनारायण की कथा का पाठ भी करना चाहिए. अपने ईश्वर की उपासना करनी चाहिए. चातुर्मास में मां लक्ष्मी की भी आराधना करनी चाहिए. इसके अलावा इस मास में दान जैसा शुभ कार्य जरूर करना चाहिए.
