जंगल सफारी में 17 चौसिंगों की मौत लापरवाही से…. जांच रिपोर्ट में सौंपी…

क्षेत्रीय

रायपुर : चार दिनों में 17 चौसिंगों की मौत की वजह जानने में लगता है वन महकमे को कोई दिलचस्पी नहीं थी ! ये खुलासा उस रिपोर्ट से हुआ है, जिसमें बताया गया है कि चौसिंगों की मौत के बाद वजह जानने के लिए पोस्टमार्टम कराया ही नहीं गया। विभाग की ही तीन सदस्यीय जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि महज 2-3 चौसिंगों का पोस्टमार्टम किया गया और बाद में सभी को बिना पोस्टमार्टम के लिए जला दिया गया। इस रिपोर्ट के बाद विभागीय अधिकारी और डाक्टरों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा हो गया है। 17 चोसिंगो की मौत के मामले द्वारा मुख्य वन संरक्षक सह फील्ड डायरेक्टर उदंती सीता नदी ने जांच टीम गठित की थी। तीन सदस्य जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। गौरतलब है कि चोसिंगा शेड्यूल एक का संकटग्रस्त वन्य प्राणी है। जंगल सफारी में 25 नवंबर को पांच, 26 नवंबर को तीन, 27 नवंबर को पांच, 28 नवंबर को दो तथा 29 नवंबर को दो कल 17 की मृत्यु हो गई थी।

जंगल सफारी के कई कर्मचारियों ने जांच समिति को बताया कि 25 तारीख को डॉक्टर वर्मा द्वारा दो या तीन चेसिंगा का पोस्टमार्टम किया और शेष चोसिंगा को पोस्टमार्टम किए बिना जला दिया। जाँच समिति ने बयानों के आधार पर निष्कर्ष निकला है कि चिकित्सकों द्वारा मृत हो गए चोसिंगा संबंधी समस्त अभिलेख 30 नवंबर को शाम तैयार किए गए। इसकी पुष्टि इस बात से होती है की कुछ पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में दिनांक 25 नवम्बर को बनाना बताया गया परन्तु 25 नवम्बर को स्थल पर अनुपस्थित डॉक्टर सोनम मिश्रा ने भी पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में हस्ताक्षर किए हैं और 26 नवम्बर को डॉ सोनम ने पोस्ट मार्टम किया बताया गया है जो कि बेक डेटिंग की पुष्टि करता है।

27 नवंबर 28 नवंबर और 29 नवंबर के पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में डॉक्टर राकेश वर्मा ने भी हस्ताक्षर किए हैं। जबकि वे 26 नवंबर से 30 नवंबर तक छुट्टी पर थे। डॉ वर्मा ने हस्ताक्षर के नीचे तारीख नहीं डाली और बयान में कहा कि उन्होंने राज्य स्तरीय स्वास्थ्य सलाहकार समिति की हैसियत से हस्ताक्षर किए हैं। परंतु जांच समिति पाया कि राज्य स्तरीय स्वास्थ्य सलाहकार समिति के बाकी सदस्यों ने पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में सिर्फ सीन (देखा) लिखा है। परंतु जांच समिति ने निष्कर्ष निकला कि डॉक्टर वर्मा का पक्ष संदेह के दायरे में है और यह माने जाने का कारण स्पष्ट करता है कि अभिलेख बैक डेट में तैयार किए गए हैं तथा उसे हड़बड़ी में बिना सोचे समझे गैर जिम्मेदारी से हस्ताक्षर किए गए हैं।