छत्तीसगढ़ : रायपुर के बाजार में भी नकली पनीर का धंधा चल निकला है। कल सोमवार को बीरगांव में खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने छापा मारकर नकली पनीर बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया। इस फैक्ट्री से 2500 किलो नकली पनीर जब्त किया गया है। पनीर बनाने के लिए खतरनाक केमिकल के साथ मिल्क पावडर, पॉम आयल तथा वनस्पति घी का प्रयोग किया जा रहा था। यह गोरखधंधा चार माह से चल रहा था। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने काशी एग्रो फूड्स में धावा बोला। फैक्ट्री का संचालन उत्तरप्रदेश, आगरा निवासी शिवम गोयल नाम का व्यक्ति कर रहा था। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग जब छापे की कार्रवाई करने पहुंची तब भी पनीर बनाने का काम चल रहा था। विभागीय अफसरों की निगरानी में पहले से तैयार पनीर को जब्त कर लिया है। पनीर बनाने जिस पानी का उपयोग किया जा रहा था। उस पानी का टोटल डिसोल्वड सॉलिड (टीडीएस) स्तर नौ मिला, साथ ही पानी का पीएच का स्तर 8.5 मिला। अफसरों के अनुसार पानी का टीडीएस स्तर भारतीय मानक के अनुसार पांच मिलिग्राम प्रति लीटर होना चाहिए। पीएच का स्तर 7 से ज्यादा नहीं होना चाहिए। पानी में टीडीएस और पीएच का स्तर ज्यादा होने से वह पीने लायक नहीं रहता।
एक तवे पर पनीर को डालकर गर्म करें, अगर पनीर असली होगा तो यह हल्का सुनहरे रंग का होने लगेगा, वहीं अगर पनीर नकली है तो यह पिघलने लगेगा और टूटने लगेगा। पनीर की पहचान करने के लिए अरहर दाल की मदद भी ले सकते हैं, इसके लिए एक बाउल में पनीर को डालकर उबाल लें और 10 मिनट बाद ठंडे पानी में डालकर छोड़ दें, 10 मिनट बाद इसमें अरहर की दाल डाल दें, अगर पानी का रंग लाल हो जाता है तो समझ जाएं कि पनीर मिलावटी है, वहीं अगर पानी का रंग नहीं बदलता है तो यह शुद्ध है टीम ने मौके पर भारी मात्रा में हाईड्रोक्लोरिक अम्ल जब्त की है। पूछने पर फैक्ट्री प्रबंधन ने खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की टीम को बताया कि हाईड्रोक्लोरिक अम्ल को दूसरे कार्य के उपयोग के लिए रखा गया है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की टीम को आशंका है कि हाईड्रोक्लोरिक अम्ल का उपयोग नकली पनीर बनाने इस्तेमाल किया जाता रहा होगा।
मौके पर कार्रवाई करने पहुंची टीम के अनुसार, जब्त पनीर दूध जैसे एकदम सफेद तथा स्पंजी था। सामान्य आदमी नकली पनीर को आसानी से नहीं पहचान पाता। अफसर पनीर के स्पंजी तथा सफेद होने की वजह केमिकल के मिलावट होना बता रहे हैं। अफसरों के अनुसार जब्त पनीर को ओडिशा भेजे जाने की तैयारी थी। छापामार टीम ने फैक्ट्री संचालक से स्टाक रजिस्टर दिखाने की मांग की लेकिन वहां किसी भी तरह का स्टाक रजिस्टर नहीं मिला। टीम को मौके पर जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक नकली पनीर 10 से 15 के भीतर तैयार किया गया है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अफसरों को आशंका है कि फैक्ट्री संचालक हर माह पांच से सात हजार किलो नकली पनीर बनकर बाजार में खपाने का काम कर रहा था।
खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के नियंत्रक के मुताबिक पूर्व में भी नकली पनीर बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। पूर्व में अमानक स्तर के खाद्य पदार्थों के प्रयोग कर पनीर बनाने का मामला सामने आया था, लेकिन यह पहली बार है जब खतरनाक केमिकल का प्रयोग करते हुए पनीर बनाते कोई ट्रैप किया गया है। पनीर बनाने किन खतरनाक केमिकल का प्रयोग किया गया है, इसे लेकर अफसर ने लैब की जांच रिपोर्ट आने के बाद कुछ बता पाने की बात कही।