छत्तीसगढ़ : आरक्षण पर PM को CM का पत्र, लिखा- आरक्षण पर स्थिति स्पष्ट करें

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा चुनाव के पहले ED और IT के बाद अब आरक्षण और जातिगत जनगणना के मुद्दे को फिर छेड़ दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री को इस संबंध में पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है। बघेल ने बिलासपुर में कहा कि केंद्र सरकार और भाजपा आरक्षण विरोधी है। इस पर धरमलाल कौशिक ने पलटवार करते हुए तंज कसा है। उनके मुताबिक जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है, सीएम ने एक ही अच्छा काम किया है। वो है प्रधानमंत्री को पत्र लिखना और अपनी जवाबदारी से बचना। छत्तीसगढ़ में सारे विकास कार्य केंद्र के भरोसे चल रहे हैं।

भूपेश बघेल ने कहा कि विधानसभा में हम लोगों ने आरक्षण बिल लाया है। इसमें 32 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, 13 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 27 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग और चार प्रतिशत ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण की व्यवस्था की है। सब मिलाकर राज्य में 76 फीसदी आरक्षण व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव पारित किया था। हमने बिल दो दिसंबर से पारित किया है लेकिन अभी तक राजभवन से स्वीकृति नहीं मिली है।

मुख्यमंत्री के मुताबिक बिहार में जातिगत जनगणना किया जा रहा है, जिसके खिलाफ हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट याचिका दायर की गई है। इसमे केंद्र सरकार के अटार्नी जनरल तुषार मेहता विरोध कर रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि भाजपा आरक्षण विरोधी है। तभी तो रेलवे में भर्ती नहीं निकल रही। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचा जा रहा है। एसईसीएल और एनएमडीसी के स्वामित्व वाले खदानों को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है।

‘सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण होगा तो कैसे मिलेगा आरक्षण’
मुख्यमंत्री के मुताबिक सारे सार्वजनिक उपक्रम को खत्म करने का काम केंद्र सरकार कर रही है। अगर सारे सरकारी उपक्रम निजी हाथों में चला जाएगा तो आरक्षण का लाभ छत्तीसगढ़ के युवाओं को कैसे और किस आधार पर मिलेगा। यह हम सबको सोचना होगा और इसके लिए लड़ाई लड़नी पड़ेगी।