छत्तीसगढ़ : मानसून सत्र के पहले ही दिन विपक्षी कांग्रेस के विधायकों ने बलौदा बाजार हिंसा का मामला उठाया। विपक्ष ने काम रोको प्रस्ताव लाकर चर्चा की मांग की।इसे लेकर पक्ष विपक्ष आमने सामने हुए। सत्ता पक्ष ने न्यायिक आयोग की जांच का हवाला देकर चर्चा न करने की रखी मांग।न्यायिक आयोग को न्याय प्रक्रिया के अधीन है की नहीं ? अजय चंद्राकर ने कहा कि स्थगन स्वीकार करने योग्य नही है ।विधानसभा अध्यक्ष डॉ.रमन सिंह ने व्यवस्था दी कि अभी मै विषय की ग्राह्यता पर सदस्यों के विचार सुन रहा हूं। इसलिए की चंद्राकर की आपत्ति खारिज की जाती है सत्ता पक्ष के विधायको ने स्थगन के विषय को न्याय प्राधिकरण के विचार अधीन बता चर्चा न करने की मांग पर ड़ा । धरमलाल कौशिक और दूसरे सदस्यों ने की आपत्ति। भूपेश बघेल ने अध्यक्ष की अनुमति से ऐसे विषय पर चर्चा की अनुमति दिए जाने का नियम पढ़कर सुनाया। इस सत्ता पक्ष के विधायकों ने आपत्ति की और बघेल को चर्चा से रोका । इस टोका टाकी पर विपक्ष सदस्यों ने जताई नाराजगी ।
सदन में जमकर नारेबाजी की। इसके बाद काम रोको प्रस्ताव की ग्राह्यता पर चर्चा की भूपेश बघेल ने शुरूवात की ।बघेल ने आरोप लगाया कि बलौदाबाजार की घटना एक बड़ी साजिश है। सरकार के सीने पर लगा बड़ा दाग है।आंदोलन प्रदर्शन का इंतजाम एसपी, कलेक्टर ने कराया था। कवासी लखमा ने कहा कलेक्टर आफिस जली दिया गया । एसपी कलेक्टर को जेल भेज देना चाहिए। इस पर दोनों पक्ष में हंगामे के चलते स्पीकर डॉ रमन सिंह ने सदन की कार्रवाई दोपहर तक के लिए स्थगित कर दी। पुनः शुरू होने पर दोनों पक्षों ने हंगामा किया। कांग्रेस के विधायक अध्यक्ष की आसंदी को सामने जाकर नारे बाजी करने लगे। इस पर सदन के नियमों के तहत सभी विधायक निलंबित कर दिए गए ।