धरती पर इकलौता जीव, जो परमाणु हमलों के बाद भी लेता रहेगा सांस!

धरती पर मौजूद ऐसे जीव के बारे में बात कर रहे हैं जो परमाणु हमलों के बीच भी सांस लेता रह सकता है सोचकर देखिए कि शहरों पर परमाणु बम गिरने लगे चारों ओर धुआं और आग के गुबार हो, जमीन जल उठी हो हवा जहर बन गई हो. इंसान समेत सभी पशु पक्षियों का नामोनिशान मिट चुका हो और ऐसी तबाही के बीच तपती हुई धरती पर एक छोटा सा जीव जिंदा हो. आखिर इस जीव में ऐसी कौन सी शक्ति है जो न रेडिएशन से मरता है, न गर्मी से जलता है. चलिए जानते हैं इस जीव की खासियत. धरती पर मौजूद जिस जीव की बात कर रहे हैं वो कोई और नहीं बल्कि कॉकरोच है. दरअसल, जब दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम से हमला किया तो विनाश का वो मंजर दिखा जिसने दुनिया को परमाणु पर नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया. लेकिन चमत्कार तो जब हुआ जब इस हमले के बाद भी कॉकरोच जिंदा बच गए. जी हां, हवा में फैले रेडिएशन ने जहां एक तरफ जानवरों और इंसानों को मिट्टी में मिला दिया था, वहीं जब वैज्ञानिकों ने तबाही के बाद उस क्षेत्र का सर्वे किया तो ऐसी बात सामने आई जिसे जानकर वैज्ञानिक भी हैरान रह गए. जहां इंसानों का नामोनिशान मिट गया वहां वैज्ञानिकों को बड़ी संख्या में जिंदा कॉकरोच पाए.

जब वैज्ञानिकों को जिंदा कॉकरोच मिले तो उन्होंने इस पर गहरा अध्ययन किया. उन्होंने जानना चाहा कि जब उच्च स्तर का रेडिएशन इंसानों को तुरंत धुएं में बदल सकता है तो कॉकरोच जिंदा कैसे बच गए. इस अध्ययन के बाद जो बात सामने आई उसने वैज्ञानिकों को चौका दिया और कॉकरोच की काबिलियत को सामने ला दिया. रिसर्च में पाया गया कि इंसानों की तुलना में कॉकरोच का शरीर रेडिएशन को कई गुना तक सहन कर सकता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि जहां इंसान 800 रैड तक की रेडिएशन से मर सकते हैं वहीं, दूसरी ओर कॉकरोच 10,000 रैड तक की रेडिएशन को सहन करने की क्षमता रखते हैं.

वैज्ञानिकों के अनुसार, एटम बम का मुख्य नुकसान रेडिएशन नहीं, बल्कि विस्फोट के ठीक बाद में फैलने वाली गर्मी और निकले वाली ऊर्जा से होता है. यही कारण हैं कि जो कॉकरोज विस्फोट के बिलकुल पास थे वे तो तुरंत मर गए, लेकिन जो विस्फोट से थोड़ी दूर थे वे रेडिएशन को झेल गए और जिंदा बच गए.

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