तुर्की के नए राजदूत का भारत में क्रेडेंशियल सेरेमनी रद्द, तनाव के बीच इंडिया का बड़ा कदम

तुर्की के साथ तनाव के बीच विदेश मंत्रालय ने भारत में तुर्की के नए राजदूत अली मूरत एर्सॉय का राष्ट्रपति भवन में होने वाला परिचय समारोह अनिश्चितकाल के लिए रद्द कर दिया है. इस कार्यक्रम में तुर्की के राजदूत अली मूरत एर्सॉय को भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना परिचय प्रस्तुत करना था. कूटनीतिक भाषा में इस कार्यक्रम को क्रेडेंशियल सेरेमनी कहते हैं. अब विदेश मंत्रालय के प्रोटोकॉल विभाग ने ये कार्यक्रम अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया है. लेटर ऑफ क्रेडेंस एक औपचारिक दस्तावेज है जो किसी राजनयिक को दूसरे संप्रभु राज्य में राजदूत या उच्चायुक्त नियुक्त होने की पहचान है.

विदेश मंत्रालय ने यह प्रोग्राम उस दिन रद्द किया है जब भारत के विमानन सुरक्षा नियामक, ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (बीसीएएस) ने राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में एयरपोर्ट ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी सेलेबी एविएशन होल्डिंग की भारतीय शाखा, सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया की सुरक्षा मंजूरी को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है.

विदेश मंत्रालय ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, “राष्ट्रपति भवन में गुरुवार को होने वाला परिचय समारोह कार्यक्रम शेड्यूल संबंधी समस्याओं के कारण स्थगित कर दिया गया है.” इस समारोह में भारत में नियुक्त राजदूत अली मूरत एर्सॉय के अलावा, बांग्लादेश के नए उच्चायुक्त रियाज हमीदुल्लाह और थाईलैंड, कोस्टा रिका, सेंट किट्स और नेविस के दूत भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपने परिचय पत्र प्रस्तुत करने वाले थे. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देश को पता चला कि पाकिस्तान भारत पर हमला करने के लिए तुर्की में बने ड्रोन्स का इस्तेमाल कर रहा है. इससे भारत में तुर्की सरकार के खिलाफ माहौल बना और लोगों ने व्यापक प्रतिक्रिया दी. भारत के कई शहरों से तुर्की के साथ बिजनेस न करने की मांग उठी. भारत के कई शहरों ने तुर्की से होने वाले सेब आयात को बंद कर दिया. लाखों लोगों ने तुर्की की अपनी छुट्टियां कैंसिल कर दी. इसका असर तुर्की के पर्यटन पर पड़ा.

12 मई को सरकार ने कहा कि उसने ऑपरेशन सिंदूर से पहले और उसके दौरान पाकिस्तान को तुर्की के समर्थन पर ध्यान दिया है, जिसमें राजनयिक और रक्षा सहायता भी शामिल है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने इस संबंध में तुर्की को पहले ही सबूत दे दिए हैं और उम्मीद है कि इस्तांबुल इस मुद्दे पर उसकी चिंताओं पर गौर करेगा.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed