सदन में भीड़ गये डहरिया-अजय, बहस के दौरान हाथापाई की नौबत

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रायपुर : छत्‍तीसगढ़ विधानसभा में आज अभूतपूर्व स्थिति देखने को मिली। जब पक्ष-विपक्ष के सदस्य एक-दूसरे की ओर दौड़ पड़े। यह वाक्या सदन की कार्रवाई दस मिनट स्थगित करने के बाद कार्रवाई शुरू होते ही देखने को मिला। जब अजय चंद्राकर, बृजमोहन अग्रवाल, अपने वक्तव्य के दौरान मंत्री शिव डहरिया और कांग्रेस विधायकों की टोका-टाकी पर नाराजगी जता रहे हैं। अजय और बृजमोहन सत्ता पक्ष की ओर लपके। यह देख अन्य विधायकों ने बीच-बचाव कर रोका।

दरअसल, विधानसभा में आरक्षण को लेकर चल रही चर्चा के बीच हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद मंत्री शिव डहरिया और अजय चंद्राकर आपस में भिड़ गए। दोनों के बीच धक्का-मुक्की हुई। आरक्षण पर चर्चा के दौरान बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि क्या एक चुनाव को जीतने के लिए संविधान की धज्जियां उड़ाई जाएंगी। संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि कर्नाटक और तमिलनाडु की राज्य सरकार ने आरक्षण को लेकर यही पहल की है। मंत्री शिव डहरिया लगातार विपक्ष के विधायकों को टोक रहे थे, इस पर अजय चंद्राकर ने कहा कि रविंद्र चौबे के संरक्षण में डहरिया बार-बार टोका-टिप्पणी कर रहे हैं। इस पर डहरिया ने कहा कि अगर हमारे नेता कहेंगे तो मैं वहां भी आ जाऊंगा। डहरिया की टिप्पणी के बाद हंगामा शुरू हो गया। भारी हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष डा चरणदास महंत ने सदन की कार्यवाही को दस मिनट के लिए स्थगित किया और अपनी कुर्सी से उठे और बाहर चले गए।

इसके बाद सदन के अंदर शिव डहरिया और अजय चंद्राकर के बीच जमकर बहस और धक्का मुक्की हुई। चंद्राकर और डहरिया को आपस में भिड़े देख पक्ष विपक्ष के विधायक भी पहुंच गए और बीच बचाव करके दोनों को अलग हटाया। विवाद के बाद विधानसभा परिसर में मीडिया से चर्चा में कहा कि भाजपा नेता आरक्षण के घोर विरोधी हैं। मैंने कहा कि मेरे मंत्री कहेंगे तो मैं उधर भी जा सकता हूं। क्या मैं उधर जाऊंगा तो मेरे साथ धक्का मुक्की करेंगे। भाजपा हाथापाई पर उतर आई है। क्या मैं वहां नहीं जा सकता। अजय चंद्राकर ने धक्का-मुक्की की और बृजमोहन अग्रवाल उनके समर्थन में आ रहे थे। वहीं, बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि सदन के अंदर हम विधायक बात नहीं कर सकते। हम बात करते हैं तो मंत्री टोकते हैं, अगर मंत्री नहीं टोकते हैं, तो संसदीय कार्यमंत्री उनको उकसाते हैं। आज तो अति हो गई। एक मंत्री (शिव डहरिया) कहते हैें कि मैं उधर भी आकर आप लोगों के ऊपर बैठ सकता हूं। मेरे नेता का आदेश होना चाहिए। अग्रवाल ने कहा कि हम लोग भी अपनी माता के पुत्र हैं, हम लोगों में भी वो दम है। अगर कोई ऐसा चैलेंज करता है, तो हम उसका जवाब देना जानते हैं। मैदान में कुश्ती लड़ना है, तो हम भानुप्रपातपुर में लड़ रहे हैं, यहां पर भी कुश्ती का मैदान बना लें, हम लड़ेंगे।

मंत्री अमरजीत भगत ने सदस्‍यों के बीच धक्‍का-मुक्‍की को शर्मनाक बताया है। मंत्री अमरजीत भगत ने कहा, सभी चाहते हैं कि विधेयक पारित हो। लेकिन उसे कोई रोकने की कोशिश करे तो चर्चा में गरमाहट आ जाती है। सदन में सत्‍ता पक्ष विधेयक को पारित करने और विपक्ष इसे रोकने का प्रयास कर रही है। भारतीय जनता पार्टी ने आपा खो दिया है। लेकिन सत्‍ता पक्ष चाहती है हर परिस्थिति में आरक्षण लागू हो। इसे लेकर सदन में चर्चा जारी है। लेकिन भाजपा का चेहरा इसमें बेनकाब हो रहा है। बीजेपी इसे रोकने का पूरा प्रयास कर रही है। यहां तक कि हाथापाई पर उतारू हो गई है। लेकिन मुझे पूरी उम्‍मीद है कि सरकार इसे पारित करा कर रहेगी।

डहरिया केवल टूल, उनका कोई विवेक नहीं: चंद्राकर

भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने ने कहा कि शिव डहरिया एक टूल हैं, उनका खुद का कोई विवेक नहीं है, इसलिए क्षमा योग्य हैं। डहरिया को उकसाया गया, जिसके बाद विवाद बढ़ा। चंद्रकार ने कहा कि आरक्षण विधेयक को उनका पूरा समर्थन है। लेकिन उसपर जो आपत्तियां हैं, उनका जवाब कौन देगा।

बता दें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अनुपूरक बजट का प्रस्ताव प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा विधानसभा में चार हजार तीन सौ सैंतीस करोड़, पचहत्तर लाख तिरानवे हजार आठ सौ बत्तीस रुपये के अनुपूरक बजट का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर आयोजित विशेष सत्र के दूसरे दिन सरकार की तरफ से जनसंख्या के आधार पर आरक्षण देने का प्रस्ताव दिया गया है। उच्च प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो राज्य सरकार ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (एसटी) को 13 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए चार प्रतिशत आरक्षण देने का प्रविधान किया है। सरकार के प्रस्ताव के अनुसार प्रदेश में 76 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा। सदन के पटल पर आरक्षण विधेयक रखे जाने से पहले ही भाजपा, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और बसपा विधायकों ने एक सुर में विरोध शुरू कर दिया है।