हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) के संपदा अधिकारी कार्यालय के शातिर डाटा एंट्री ऑपरेटर ने 1 करोड़ 75 लाख से ज्यादा की राशि का गबन कर लिया. हैरानी की बात यह है कि ऑपरेटर न तो ऑडिट में पकड़ा गया और न ही बैंक स्टेटमेंट निकाले जाने पर पता चला. डाटा एंट्री ऑपरेटर विजय यादव ने पुलिस की जांच में कई बड़े खुलासे किए हैं.
अब विभाग के आला अधिकारियों सहित अन्य कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच की जाएगी. पुलिस ने उच्च अधिकारियों की मिलीभगत से इनकार नहीं किया है. पुलिस का कहना है कि जल्द बड़े खुलासे हो सकते हैं.
आरोपी ने पुलिस को बताया कि वह संपदा कार्यालय के खाते से 4 साल से पैसे परिवार और रिश्तेदारों के साथ-साथ दोस्तों के खातों में ट्रांसफर कर रहा था. अब तक वह लगभग एक करोड़ 75 लाख रुपए इस खाते से ट्रांसफर करके निकाल चुका है. इतनी बड़ी रकम निकलने के बाद भी संपदा अधिकारी द्वारा यह गड़बड़ी नहीं पकड़े जाने पर सवाल खड़े हो रहे हैं. पुलिस ने अभी तक 28 लाख रुपए आरोपी से बरामद कर लिए हैं. अकेले ऑपरेटर द्वारा इतना बड़ा गबन किया जाना भी संदेह के घेरे में है.
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के संपदा अधिकारी कार्यालय में बतौर डाटा एंट्री ऑपरेटर कार्यरत विजय यादव के खिलाफ अकाउंटेंट सूरजभान शर्मा ने 3 दिन पहले 38 लाख गबन का केस दर्ज कराया था. शिकायत में कहा गया था कि गोकलगढ़ निवासी विजय यादव को आउटसोर्स के जरिए 2017 में बतौर डाटा एंट्री ऑपरेटर प्राधिकरण कार्यालय में नियुक्ति मिली थी. इसके बाद उसकी ड्यूटी अकाउंट ब्रांच में लगा दी गई थी. अकाउंट ब्रांच में ड्यूटी होने की वजह से आरोपी प्राधिकरण के चंडीगढ़ स्थित पंजाब नेशनल बैंक की शाखा में खुले बैंक खातों को भी अपडेट करता था.
आरोपी ने इस साल 23 जुलाई तक 14 माह की अवधि में अपनी पत्नी, बेटियों और रिश्तेदारों के खातों में 38 लाख से अधिक की राशि ट्रांसफर कर ली थी. बैंक की तरफ से कुछ ही खातों में लगातार पैसा ट्रांसफर होने की बात अधिकारियों को बताकर स्टेटमेंट भेजकर इसकी जांच के लिए कहा था. इसके बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ. जब पुलिस ने रिमांड के दौरान पूछताछ की तो सामने आया कि उसने वर्ष 2018 से 2020 की अवधि में भी रुपए ट्रांसफर किए थे, जो कुल 1 करोड़ 75 रुपए की राशि होगी.
इस मामले में न केवल बैंक के स्तर पर, बल्कि विभाग स्तर पर भी बड़ी लापरवाही सामने आई है. सभी सरकारी विभागों में हर साल ऑडिट होता है. वहीं बैंक की तरफ से भी छमाही बैंक स्टेटमेंट भेज दी जाती है. यदि स्टेटमेंट में यह गड़बड़ी पकड़ में नहीं आई तो ऑडिट पर सवाल उठने ही चाहिए थे. वहीं आरटीजीएस चेक भी होता है और इसके बाद भी इतनी बड़ी रकम का एक कर्मचारी द्वारा ट्रांसफर कर लिया जाना विभाग की बड़ी लापरवाही है.
पुलिस ने शुक्रवार को आरोपी ऑपरेटर को गिरफ्तार कर लिया और उसके खाते में ट्रांसफर करके निकाली गई 28 लाख रुपए की राशि भी बरामद कर ली. पुलिस उन अन्य बैंक खातों की भी जानकारी जुटा रही है, जिसमें उसने राशि ट्रांसफर की थी. पुलिस उप अधीक्षक मोहम्मद जमाल खान का कहना है कि इस मामले में अधिकारी व कर्मचारियों की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता.
सूत्रों की मानें तो ऑपरेटर विजय यादव विभाग का पैसा प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त में लगा रहा था. उसने आलीशान घर बनाने के अलावा बावल तथा राजस्थान के नीमराना में भी प्रॉपर्टी खरीदी थी.