RAM और मोबइल बैटरी के जनक का अमेरिका में निधन….

अंतरराष्ट्रीय

लिथियम आयन बैटरी और रैंडम एक्सेस मेमोरी के आविष्कारक अमेरिकन फिजिस्ट और नोबल प्राइज विनर प्रो. जॉन बी. गुडइनफ का आज निधन हो गया। 101 साल की उम्र में उन्होंने अमेरिका में अंतिम सांस ली। उनके निधन पर IIT-BHU के वैज्ञानिकों ने भी गहरा दुख जताया है। IIT-BHU में सिरामिक इंजीनियरिंग विभाग के हाइड्रोजन वैज्ञानिक डॉ. प्रीतम सिंह ने प्रो. गुडइनफ के मार्गदर्शन में पोस्ट-डॉक्टरल रिसर्च किया है। 5 साल तक उनके साथ लिथियम आयन बैटरी पर रिसर्च किया है। 2019 में इन्हें नोवेल पुरस्कार दिया गया।

डॉ. प्रीतम सिंह ने कहा कि पिछले साल BHU में प्रो. गुडइनफ का 100वां जन्मदिवस मनाया गया। उस समय प्रो. गुडइनफ कॉन्फ्रेंस में जुड़े थे। उन्होंने IIT-BHU के वैज्ञानिकों को संबोधित भी किया था। डॉ. प्रीतम ने बताया कि आज जो मोबाइल फोन हमारे हाथ में है वो प्रोफेसर गुडइनफ के द्वारा दिया गया गिफ्ट है।

कभी खुद सेलफोन का इस्तेमाल नहीं किया
प्रो. गुडइनफ ने RAM (रैंडम एक्सेस मेमोरी) की खोज भी की थी। साथ ही लिथियम आयन बैटरियों का विकास किया था। आज छोटे साइज की हाई पावर बैटरी ही मॉडर्न सेलफोन में इस्तेमाल होते हैं। जबकि, उन्होंने कभी खुद सेलफोन का इस्तेमाल नहीं किया। लिथियम ऑयन बैटरी ग्लोबल लेवल पर पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक्स और लंबी दूरी की इलेक्ट्रिक कारों और ऊर्जा के नए स्रोतों के स्टोरेज को एनर्जी देता है। सोलर और विंड एनर्जी वायु उर्जा। उनका मानना था कि लिथियम ऑन बैटरियां अगली पीढ़ी के इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए काफी बड़ी भूमिका अदा करेगी।

100वें जन्मदिवस पर बोले थे- हर रिसर्च में हो मानवता की बात BHU में संबोधन देते हुए 100वें जन्मदिवस पर सर जॉन बी गुडइनफ ने कहा था कि हम जो भी रिसर्च कर रहे हैं, उसमें देखें कि मानवता के साथ उसका क्या संबंध है। रिसर्च में ह्यूमेनिस्टिक फैक्टर होना चाहिए। रिसर्च के नाम पर बेवजह की बर्बादी पर भी उन्होंने काफी खुलकर बोला था। BHU में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि भारत तेजी से मॉडर्न होता देश है। मगर, हमने भारतीय सभ्यता और संस्कृति से काफी कुछ सीखा है। भारत जैसे, प्राचीनता और संस्कृति में समृद्ध देश है, वैसे ही साइंस और टेक्नोलॉजी में भी आगे बढ़े। BHU इतनी पुरानी यूनिवर्सिटी है। दुनिया में इसका काफी नाम है।