जम्मू में बोले रक्षामंत्री- जरूरत पड़ी तो बॉर्डर पार जाकर मारेंगे….

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जम्मू विश्वविद्यालय के जनरल जोरावर सिंह ऑडोटोरियम में सिक्योरिटी कॉन्क्लेव में शामिल हुए। यहां उन्होंने कहा कि भारत अब ताकतवर बनता जा रहा है। भारत सीमा के इस पार भी मार सकता है और जरूरत पड़ी तो सीमा के उस पार भी मार सकता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि उरी और पुलवामा की जो घटना थी, उस वक्त मैं ही गृह मंत्री था। जब मैं अपने शहीद जवानों का शव अपने कंधे पर लेकर आगे बढ़ा, तो जो हमारी स्थिति थी उसे शब्दों में बयान नहीं कर सकते हैं। इन घटनाओं के बाद PM मोदी के साथ एक बैठक हुई।
मैं PM की इच्छाशक्ति की सराहना करना चाहूंगा कि उन्होंने 10 मिनट के अंदर फैसला कर लिया। इसके बाद आपने देखा कि हमारे जवानों ने सीमा के इस पार ही नहीं बल्कि उस पार जाकर आतंकवादियों का सफाया करने में कामयाबी हासिल की।
इसके साथ ही भारत ने दुनिया को ये मैसेज दिया कि भारत अब पहले जैसा भारत नहीं रहा। भारत अब ताकतवर बनता जा रहा है। भारत सीमा के इस पार भी मार सकता है और जरूरत पड़ी तो सीमा के उस पार भी मार सकता है।

रक्षा मंत्री की प्रमुख बाते…

अब भारत को दुनिया गंभीरता से सुनती है
राजनाथ ने कहा कि नौ साल में अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत की प्रतिष्ठा, भारत का कद बढ़ा है। पहले अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत कुछ बोलता था, तो भारत की बातों को जितनी गंभीरता से लिया जाना चाहिए, उतनी गंभीरता से नहीं लिया जाता था। लेकिन आज अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत कुछ बोलता है ताे सारी दुनिया कान खोलकर सुनती है कि भारत बोल क्या रहा है।

भारत के प्रधानमंत्री का दुनिया सम्मान करती है
आज हमारे प्रधानमंत्री को ऑस्ट्रेलिया का प्रधानमंत्री बॉस कह कर बुलाता है, अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन उनका ऑटोग्राफ लेना चाहते हैं और पापुआ न्यू गिनी के राष्ट्रपति उनके पैर छू कर आशीर्वाद लेता है। पैर छूना कोई छोटी बात नहीं है। ये केवल प्रधानमंत्री का सम्मान नहीं है, बल्कि यह पूरे भारत और भारतवासियों का सम्मान है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान पीएम ने फोन कर युद्ध रुकवाया, तब भारतीय बच्चों का रेस्क्यू हुआ
रक्षामंत्री ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान बहुत सारे भारतीय बच्चे वहां फंसे हुए थे। उनके माता-पिता सरकार से कह रहे थे कि कैसे भी बच्चों को बाहर निकालो। हालात खराब थे, लेकिन हमारे पीएम ने मजबूत इच्छाशक्ति के साथ रूस के राष्ट्रपति, अमेरिकी राष्ट्रपति और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से बात की।
इसके बाद साढ़े चार घंटे के लिए युद्ध रुक गया और हम हजारों भारतीय बच्चों को वहां से निकाल पाए। भारत के कमजोर होने की जो धारणा थी, वह अब धीरे-धीरे खत्म हो गई है।