छत्तीसगढ़ में पनप रहे डेगू मच्छर, दुर्ग,रायगढ़ में सर्वाधिक मरीज, रायपुर में भी खतरा बढ़ा….

क्षेत्रीय

छत्तीसगढ़ के कई जिलों में बारिश से बने बाढ़ के हालात और पानी के जमाव से डेंगू का खतरा बढ़ गया है। मंगलवार की सुबह तक राज्य में डेंगू के 191 केस मिल चुके हैं। इनमें ज्यादातर मरीज शहरी क्षेत्रों के हैं। केवल 20 प्रतिशत मरीज शहर के आसपास गांव के रहने वाले हैं। एक साथ डेंगू के इतने मरीज आने से स्वास्थ्य अमला भी हरकत में आ गया है।

छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक डेंगू के केस दुर्ग से 92 और रायगढ़ से 37 केस मिले है। इसके अलावा बस्तर से 17 बीजापुर से 8 और रायपुर से 4 केस सामने आए हैं। इन मरीजों का इलाज जिला अस्पतालों और अर्बन हेल्थ सेंटरों में किया जा रहा है।

डेंगू कैसे होता है,जानिए

डेंगू एक वायरल बीमारी है। मादा एडीज मच्छर के काटने की वजह से डेंगू होता है। यह मच्छर गंदगी में नहीं बल्कि साफ जगह पर पनपते हैं। जो लोग शहरों में साफ-सुथरी जगहों पर रहते हैं उन्हें डेंगू का खतरा ज्यादा होता है। ये रात के अपेक्षा दिन के समय काटते हैं। ये चार प्रकार का होता है, टाइप-1, टाइप-2, टाइप-3, टाइप-4. बोलचाल की भाषा में इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं। इसके अलावा ज्यादातर शहरों में फैलने के चलते इसे शहरी बीमारी भी कहा जाता है। सही तरीके से इलाज नहीं मिलने और मामला गंभीर हो जाने पर मरीज की मौत भी हो जाती है।

डेंगू के लक्षण पहचानें

सिर दर्दमांसपेशियों और हड्डियों में दर्द

ठंड लगने के साथ बुखार चढ़ना
जी मिचलाना
उल्टी आना
आंखों में दर्द
स्किन पर लाल चकत्ते होना
मुंह का स्वाद खराब लगना।
डेंगू से बचाव के लिए ये सावधानी अपनाएं

डेंगू से बचाव के लिए घर में साफ-सफाई का ध्यान रखें। कूलर, गमले, बर्तन आदि में पानी इकठ्ठे होने न दें और पानी को बदलते रहे।
सोते समय दिन हो या रात मच्छरदानी का उपयोग करें।
पूरे शरीर को ढंकने वाले कपड़े पहने और कमरों की साफ-सफाई के साथ उसे हवादार बनाये रखें।
घर के आसपास गंदगी जमा न होने दें। जमे हुए पानी में मच्छर के लार्वा दिखने पर लर्विसायिड या मिट्टी का तेल डालें, 24 घंटे के बाद इस पानी को फेंके।
मच्छरों से बचने घरों के दरवाजे व खिड़कियों में जाली जरूर लगाएं।
डेंगू के लक्षण मिलने पर तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर स्वास्थ्य की जांच कराएं

मरीज के खाने-पीने का कैसे रखें ध्यान

डेंगू के मरीज को सादा पानी, नींबू पानी, दूध, लस्सी, छाछ और नारियल पानी देना चाहिए, ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।
ध्यान रखें कि मरीज के शरीर में हर दिन 4 से 5 लीटर लिक्विड जरूर जाना चाहिए। हर 1 से 2 घंटे में कुछ न कुछ खाने-पीने के लिए देते रहें।
मरीज के यूरीन की स्थिति पर ध्यान दें। यदि पेशेंट हर 3 से 4 घंटे में एक बार पेशाब जा रहा है तो मतलब खतरे की बात नहीं है।
यदि पेशाब की मात्रा या फ्रीक्वेंसी कम है तो मरीज को तुरंत लिक्विड डाइट पर ध्यान देना चाहिए और डॉक्टर से बात करनी चाहिए।