दिल्ली एम्स ने मंगलवार को घोषणा की कि ई-हॉस्पिटल डेटा बहाल कर दिया गया है। समाचार एजेंसी एएनआई को संस्थान की ओर से यह जानकारी दी गई है साथ ही कहा गया है कि भविष्य में फिर इस तरह का संकट पैदा न हो इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
सेवाओं को बहाल करने से पहले नेटवर्क को साफ किया जा रहा है। सेवाओं की बहाली में थोड़ा समय इसलिए लग रहा है क्योंकि डेटा अधिक है और अस्पताल में कंप्यूटर इत्यादि की संख्या भी अधिक है। इसी के साथ साइबर सुरक्षा के इंतजाम भी किए जा रहे हैं ताकि भविष्य में फिर इस तरह का खतरा पैदा न हो। जब तक सेवाएं पूरी तरह से बहाल नहीं हो जातीं तब तक सभी अस्पताल सेवाएं, जिनमें आउट पेशेंट, इन-पेशेंट, प्रयोगशालाएं आदि शामिल हैं, मैनुअल मोड में चलती रहेंगी।
गौरतलब है कि एम्स, दिल्ली का सर्वर हैक हो गया था। हैकर्स ने संस्थान से क्रिप्टोकरेंसी में 200 करोड़ रुपये की मांग की थी। हालांकि, पुलिस ने इससे इनकार किया। सर्वर ठप होने के कारण मंगलवार को भी सभी काम मैनुअल किए गए। पिछले बुधवार को हुए साइबर अटैक में 3-4 करोड़ मरीजों का डाटा खतरे में होने की आशंका है। भारतीय कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया दल (सर्ट-इन), दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय के प्रतिनिधि जांच कर रहे हैं। दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस इकाई ने 25 नवंबर को जबरन वसूली और साइबर आतंकवाद का मामला दर्ज किया था।
एनआईसी टीम एम्स में स्थित अन्य ई-हॉस्पिटल सर्वरों से संक्रमण को स्कैन और साफ कर रही है, जो अस्पताल सेवाओं के लिए जरूरी है। ई-हॉस्पिटल सेवाओं को बहाल करने के लिए व्यवस्थित किए गए चार भौतिक सर्वरों को स्कैन करके डाटाबेस और एप्लिकेशन के लिए तैयार किया गया है। साथ ही एम्स के नेटवर्क सैनिटाइजेशन का काम जारी है। सर्वर और कंप्यूटर के लिए एंटीवायरस समाधान व्यवस्थित किए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक 50 में से 20 सर्वरों को स्कैन किया जा चुका है। काम 24 घंटे जारी है।