G20 समिट के लिए दिल्ली तैयार, बारिश के बाद जलभराव से बचने का बना प्लान

राष्ट्रीय

राजधानी दिल्ली में सितंबर महीने में बहुप्रतीक्षित G20 समिट होने जा रही है. दो दिन चलने वाले G20 समिट के दौरान बारिश परेशानी का सबब नहीं बने. इसकी पूरी तैयारियां की जा रही हैं. ऐसे में बारिश की वजह से जलभराव से निपटने पर काम चल रहा है. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इन्हीं तैयारियां का जायजा लिया.

G20 के दौरान राजधानी में भारी बारिश से निपटने के लिए एक योजना बनाई गई है. इसके लिए कुछ स्थानों को चिह्नित किया गया है. एलजी सक्सेना ने बुधवार को इन्हीं स्थानों का दौरा भी किया. G20 की समीक्षा बैठक के दौरान उपराज्यपाल ने आईटीपीओ, राजघाट, डेलीगेट्स के लिए चिह्नित किए गए होटलों और अन्य स्थानों पर भारी जलभराव से निपटने के लिए योजना बनाने के निर्देश दिए थे. एलजी ने यह भी निर्देश दिए कि G20 के दौरान इन मार्गों पर जलभराव नहीं होना चाहिए.

राजधानी में बारिश के दौरान जलभराव से निपटने के लिए जो योजना तैयार की है. उसके तहत 50 हॉर्सपावर पंप वाले बैट्री से चलने वाले एक ट्रैक्टर को तैयार किया गया है, जो पानी निकालने का काम करेगा.

मैकेनिकल रोड स्वीपिंग (एमआरएस) वाहनों को भी तैयार किया गया है, जो बारिश के पानी की निकासी का काम करेंगे. साथ ही बंद हो चुकी नालियों और सीवर लाइनों को खोलने में भी काम आएंगे. ये वाहन चौबीसों घंटे काम करेंगे.
बता दें कि G20 समिट प्रगति मैदान में होगा. यह वहां इलाका है, जहां आमतौर पर बारिश के बाद जलभराव होता है. जुलाई में बारिश के बाद यहां लोगों को जलभराव की स्थिति से जूझना पड़ा था.

G20 समिट के दौरान बंद रहेगी दिल्ली!

दिल्ली में सितंबर महीने में होने जा रहे G20 सम्मेलन के मद्देनजर केजरीवाल सरकार ने महीने की आठ, नौ और 10 तारीख को छुट्टी घोषित करने का ऐलान किया है. दिल्ली सरकार और एमसीडी के सभी दफ्तर भी इन तीन दिनों तक बंद रहेंगे. इसके साथ ही सभी स्कूलों में भी तीन दिनों का अवकाश होगा.

इस दौरान दिल्ली पुलिस के नई दिल्ली जिले के तहत आने वाले बैंक और वित्तीय संस्थानों को भी बंद रखा जाएगा. पुलिस द्वारा पहले से चिह्नित दुकानों और व्यावसायिक जगहों को भी बंद रखा जाएगा.

क्या है G-20?

G-20 का गठन 1999 में हुआ था. तब ये वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों का संगठन हुआ करता था. इसका पहला सम्मेलन दिसंबर 1999 में जर्मनी की राजधानी बर्लिन में हुआ था.

2008-2009 में दुनिया में भयानक मंदी आई थी. इस मंदी के बाद इस संगठन में बदलाव हुए और इसे शीर्ष नेताओं के संगठन में तब्दील कर दिया गया. 2008 में अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में इसकी समिट हुई.

2009 और 2010 में साल में दो बार G-20 समिट का आयोजन होता था. 2009 में लंदन और पिट्सबर्ग में, जबकि 2010 में टोरंटो और सियोल में इसका आयोजन हुआ. 2011 के बाद से ये साल में एक बार ही होती है.

G-20 के सदस्यों में भारत के अलावा अर्जेंटिना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, साउथ अफ्रीका, तुर्की, यूके, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं.

दुनिया की 80 फीसदी जीडीपी और 75 फीसदी कारोबार G-20 के देशों में ही होता है. इतना ही नहीं, दुनिया की दो-तिहाई आबादी भी इन्हीं देशों में रहती है.

भारत के पास है अध्यक्षता

G-20 का कोई स्थायी अध्यक्ष नहीं है. जिस सदस्य देश के पास इसकी अध्यक्षता होती है, वही समिट का आयोजन करता है. 1 दिसंबर 2022 से भारत के इसका अध्यक्ष है. भारत नवंबर 2023 तक G-20 का अध्यक्ष रहेगा.

प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल G-20 के लोगो और वेबसाइट को लॉन्च किया था. हालांकि, लोगो में ‘कमल का फूल’ इस्तेमाल करने पर इस पर विवाद भी खड़ा हो गया.