छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के चौथे दिन प्रश्नकाल के दौरान डिजिटल अरेस्ट और सायबर क्राइम का गंभीर मुद्दा उठा। विधायकों ने सरकार से इस पर कड़े सवाल किए, जिनका गृह मंत्री विजय शर्मा ने जवाब दिया। बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक ने डिजिटल अरेस्ट के मामलों पर सवाल उठाते हुए सरकार से पूछा कि अब तक कितने लोग इसके शिकार हुए और कितनी राशि पीड़ितों को वापस दिलाई जा सकी। गृह मंत्री विजय शर्मा ने बताया कि राज्य में अब तक डिजिटल अरेस्ट के 12 मामले सामने आए हैं, जिनमें कुल 168 करोड़ रुपए की ठगी हुई। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए ठगों से 5 करोड़ 20 लाख रुपए की राशि वसूलकर पीड़ितों को लौटाई है। विधायक अजय चंद्राकर ने साइबर अपराध रोकने की प्रभावी व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए पूछा कि ठगी के लिए इस्तेमाल किए गए खातों को फ्रीज क्यों नहीं किया गया? इस पर गृह मंत्री ने बताया कि ठगी के बाद पुलिस ने 1,795 बैंक खातों की पहचान की है, जिनमें से 921 खातों में बार-बार लेन-देन हुआ। सरकार ने स्पष्ट किया कि ठगी के लिए इस्तेमाल हुआ पहला खाता अनिवार्य रूप से फ्रीज किया जाता है, लेकिन लिंक खातों को फ्रीज नहीं किया जाता, सिर्फ राशि होल्ड की जाती है। पुलिस ने मामलों में 722 लोगों को आरोपी बनाया है। पुलिस ने 722 में से 347 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। भाजपा विधायक ने सायबर क्राइम को रोकने एक्सपर्ट की व्यवस्था पर सवाल पूछा, जिस पर विजय शर्मा ने कहा कि, अभी तक 723 आरोपी ही चिन्हांकित किया गया। इनकी संख्या कहीं ज्यादा है, अन्य की गिरफ्तारी और पाताशाजी की प्रक्रिया जारी है। वहीं अजय चंद्राकर ने पूछा प्रदेश में कितने साइबर थाने खोले गए हैं। इस पर मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि, 1 साइबर भवन शुरू किया गया है, जिसके लिए 51 लाख सॉफ्टवेयर विभाग ने खरीदा है। प्रदेश के सभी 5 रेंज में सायबर थानों की स्थापना की गई है। सभी 33 जिलों में सायबर सेल खोला गया है। प्रदेश के 6 पुलिस अधिकारी सायबर कमांडों की ट्रेनिंग ले रहे हैं।