डीएमएफ घोटाला मामला: EOW ने दाखिल की चार्जशीट, रानू साहू, सौम्या चौरसिया समेत कई अधिकारियों के नाम

छत्तीसगढ़ में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) ने मंगलवार को जिला खनिज न्यास निधि (डीएमएफ) में कथित घोटाले मामले को लेकर अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया. निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू, मुख्यमंत्री कार्यालय में तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया समेत कई अधिकारियों के नाम शामिल किए गए हैं अधिकारियों के मुताबिक यह घोटाला कथित तौर पर राज्य में पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ था. भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी (ईओडब्ल्यू) ने एक बयान में कहा कि लगभग छह हजार पन्नों का आरोप पत्र यहां एक विशेष अदालत में दाखिल किया गया, जिसमें सात सरकारी कर्मचारियों समेत नौ लोगों को आरोपी बनाया गया है

आरोपपत्र में जिन लोगों के नाम हैं, उनमें निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू, मुख्यमंत्री कार्यालय में तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया, आदिवासी विकास विभाग की तत्कालीन सहायक आयुक्त माया वारियर, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर और डीएमएफ (कोरबा) के नोडल अधिकारी भरोसा राम ठाकुर और तीन तत्कालीन जनपद मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) मुनेश्वर सिंह राज, वीरेंद्र राठौर और राधेश्याम मिर्झा तथा व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी और बिचौलिया मनोज द्विवेदी शामिल हैं. साहू उस समय कोरबा जिले की कलेक्टर के रूप में पदस्थ थीं. बयान में कहा गया है कि 2021-22 और 2022-23 के दौरान कोरबा जिले में खनिज न्यास निधि (डीएमएफ) में आवंटित निविदा राशि में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता की गई तथा आरोपियों ने अपने प्रायोजित ‘प्रोप्राइटर’/‘वेंडर’ के माध्यम से लाभ अर्जित किया. बयान में कहा गया है कि आरोपियों ने सुनियोजित षडयंत्र के तहत अपने प्रायोजित ‘प्रोप्राइटर’/‘वेंडर’ को निविदा आवंटित कर कमीशन के रूप में कुल निविदा मूल्य का लगभग 40 प्रतिशत (लगभग 75 करोड़) प्राप्त किया किया, फलस्वरूप शासन को आर्थिक क्षति पहुंची.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी कथित डीएमएफ घोटाले में धनशोधन पहलू की जांच कर रहा है. रानू साहू, सौम्या चौरसिया और सूर्यकांत तिवारी कथित कोयला लेवी घोटाले में भी आरोपी हैं. ईडी ने कथित कोयला लेवी घोटाले में रानू साहू को 2023 में और चौरसिया और व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी को 2022 में गिरफ्तार किया था. ईडी ने पिछले वर्ष कथित डीएमएफ घोटाले में माया वारियर को गिरफ्तार किया था.अधिकारियों ने बताया कि ईडी की जांच से पता चला है कि (राज्य में पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में) रानू साहू के रायगढ़ और कोरबा जिलों में जिलाधिकारी रहने के दौरान डीएमएफ में कथित अनियमितताएं की गई थीं और उन्हें कथित तौर पर डीएमएफ के तहत काम आवंटित किये गये ठेकेदारों से भारी रिश्वत मिली थी.

उन्होंने बताया कि जब साहू कोयला समृद्ध क्षेत्रों में जिलाधिकारी थीं, तब वारियर संबंधित विभाग में तैनात थीं और उन्होंने डीएमएफ में अनियमितताओं को बढ़ावा दिया. ईडी ने दावा किया था कि छत्तीसगढ़ में डीएमएफ से जुड़े खनन ठेकेदारों ने आधिकारिक कार्य निविदाएं प्राप्त करने के बदले राज्य के अधिकारियों और राजनीतिक लोगों को ‘भारी मात्रा में अवैध रिश्वत’ दी, जो अनुबंध मूल्य का 25-40 प्रतिशत है.

डीएमएफ खनिकों द्वारा वित्तपोषित एक ट्रस्ट है जिसे राज्य के सभी जिलों में खनन से संबंधित परियोजनाओं और गतिविधियों से प्रभावित लोगों के लाभ के लिए काम करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है. ईओडब्ल्यू ने ईडी द्वारा प्रदान की गई जानकारी के आधार पर पिछले साल जनवरी में कथित डीएमएफ घोटाले के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की थी.

अधिकारियों ने बताया कि ईओडब्ल्यू को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में ईडी ने दावा किया है कि (पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन के दौरान) कोरबा जिले में डीएमएफ के तहत निविदाओं के आवंटन में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं हुईं और निविदाओं का गलत निर्धारण करके बोलीदाताओं को अवैध लाभ पहुंचाया गया, जिससे राज्य सरकार को वित्तीय नुकसान हुआ.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed