पिछले 45 दिनों से पूरी दुनिया की सुर्खियों में छाए रहे पूर्ण महाकुंभ का समापन हो गया. महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान के बाद खुद सीएम योगी वहां पहुंचे और मां गंगा की पूजा के साथ महाकुंभ स्थल की साफ सफाई की. एक कुंभ के समापन से पहले ही अगले कुंभ आयोजन का ऐलान हो जाता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि ये पूरी तरह खास ग्रहों की खगोलीय स्थिति पर आधारित होता है. जैसे अब से 2 साल बाद नासिक में कुंभ की तिथि पहले से ही घोषित है लेकिन 2027 में ये अकेला कुंभ नहीं होगा 2027 में एक कुंभ हरिद्वार में भी लगेगा. हरिद्वार की गंगा और नासिक की गोदावरी. दोनों नदियों के तट पर अभी से शुरु हो गई है कुंभ मूलतः 4 तरह के होते हैं. ये हैं कुंभ, अर्धकुंभ, महाकुंभ और पूर्ण महाकुंभ. कुंभ 3 साल पर होता है, जबकि अर्धकुंभ 6 साल पर. इसी तरह महाकुंभ 12 साल पर होता है और हर 12 महाकुंभ के बाद एक पूर्ण महाकुंभ होता है. प्रयागराज में जो संपन्न हुआ, उसे पूर्ण महाकुंभ कहा गया था. यहां एक दिलचस्प बात ये है कि महाकुंभ और पूर्ण महाकुंभ सिर्फ प्रयागराज में ही होता है. हरिद्वार और नासिक में कुंभ और अर्धकुंभ ही होता है. ये पूरी तरह खगोलीय गणना पर आधारित होता है कुंभ गणना के हिसाब में नासिक में कुंभ की तैयारियां शुरू कर दी गई है. महाराष्ट्र सरकार में अभी से एक कुंभ मंत्री बनाए गए हैं, जिन्होंने प्रयागराज के आयोजन का पूरा अध्ययन किया. यूपी सरकार के कुंभ प्रभारियों के साथ मिलकर नासिक कुंभ के आयोजन का खाका तैयार किया. इसकी जिम्मेदारी गिरीश महाजन को दी गई है. उन्होंने बताया कि प्रयागराज में जैसा कुंभ हुआ उसी को देखते हुए हम नाशिक में तैयारियां कर रहे हैं. नाशिक में स्थान छोटा है इसलिए बड़ी तैयारियां की जा रही हैं. नासिक में तैयारियां अलग लेवल की होती है, क्योंकि गोदावरी का कुंभ तट प्रयागराज के मुकाबले छोटा है और जिस तरह प्रयागराज में अनुमान से डेढ़ गुने श्रद्धालु पहुंचे. अगर नासिक में ऐसा ही अनुपात रहा, तो हालात बिगड़ सकते हैं. ये इसलिए भी चुनौती पूर्ण होगा क्योंकि नासिक में कुंभ जुलाई-अगस्त यानी बरसात के महीने में होता है. नासिक का ग्रहयोग ही कुछ ऐसा होता है.
नासिक की तरह हरिद्वार में भी अधिकारी स्तर पर अर्ध कुंभ की तैयारियां शुरू हो चुकी है. इसकी भी प्रेरणा प्रयागराज का महाकुंभ ही है. उत्तराखंड सरकार की योजना है कि हरिद्वार में भले ये अर्धकुंभ है, लेकिन इसे आयोजित किया जाएगा पूर्ण कुंभ की तरह. दरअसल अर्ध कुंभ का कॉन्सेप्ट सबसे नया है. धार्मिक विचारों के आदान प्रदान के लिए इसे साम्राट हर्षवर्धन ने 7वीं शताब्दी में शुरु किया था. ये वृहस्पति की 12 वर्ष के परिक्रमा चक्र के ठीक बीच की तिथि को होता है. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक हरिद्वार में अर्धकुंभ का योग जनवरी 2027 में बन रहा है, जबकि नासिक में कुंभ योग 17 जुलाई से 17 अगस्त 2017 तक. इन दोनों तिथियों के बीच 6 महीने का समय है. दोनों कुंभ अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से एक ही साल में पड़ रहे हैं. लेकिन हमारे हिंदू पंचांग में दोनों महाकुभ का साल अलग है. हिंदू कैलेंडर में नया साल मार्च से शुरू होता है. इसलिए हरिद्वार का कुंभ नासिक से एक साल पहले हुआ. ये पूरी की पूरी वैदिक गणना पर आधारित है