मध्यप्रदेश के सभी कॉलेजों में लागू होगा ड्रेस कोड, ‘हिजाब विवाद’ के बाद लिया ये फैसला

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मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार राज्य के सभी सरकारी कॉलेजों में छात्रों के लिए समान यूनिफॉर्म या ड्रेस कोड लागू करने की तैयारी कर रही है. राज्य के सभी सरकारी कॉलेजों को अपने छात्रों के लिए एक समान ड्रेस कोड लागू करने का निर्देश दिया है. राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने मंगलवार को कहा कि ड्रेस कोड लागू होने के बाद अन्य किसी भी तरह की ड्रेस पर प्रतिबंध रहेगा. पिछले साल कर्नाटक समते कई राज्यों में ‘हिजाब विवाद’ पर विवाद के बाद एमपी सरकार ने यह फैसला लिया है इस कदम के पीछे के तर्क को समझाते हुए, एक अधिकारी ने आरोप लगाया कि “बुर्का, हिजाब और साड़ी” जैसे कपड़े छात्रों के बीच “मतभेद” पैदा करते हैं. मध्य प्रदेश में, केवल 50% कॉलेजों में ड्रेस कोड है. बुर्का, हिजाब और साड़ी जैसे कपड़े छात्रों के बीच मतभेद पैदा कर रहे थे, इसलिए मुख्यमंत्री मोहन यादव और उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने सभी कॉलेजों में ड्रेस कोड लागू करने का फैसला किया. हिजाब को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है लेकिन एक राय होने के बाद ही ड्रेस कोड लागू किया जायेगा.” राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि नया यूनिफॉर्म कोड इस महीने के अंत में शुरू होने वाले नए शैक्षणिक सत्र से लागू होगा. उन्होंने कहा, “हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की है. सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हम एक आदर्श ड्रेस कोड लागू करेंगे. किसी वर्ग को आपत्ति नहीं होगी. हम समाज के सभी वर्ग के साथ कॉलेज में सकारात्मक को समझाते हुए और ड्रेस कोड के महत्व को बताते हुए हम ड्रेस कोड का उपयोग करेंगे. सकारात्मक परिणाम आएगा. कॉलेज में कोई बाहर से न आए इसे देखते हुए ड्रेस कोड बना रहे हैं. सबसे पहले पीएमश्री एक्सीलेंस कॉलेजों ड्रेस कोड लागू होगा.” परमार का कहना है कि कॉलेज के छात्रों के बीच एकरूपता लाने की कोशिश कर रहे हैं. ड्रेस कोड के माध्यम से, वे अनुशासन सीखेंगे और समान व्यवहार प्राप्त करेंगे. क्योंकि वे एक जैसी ड्रेस पहनेंगे, इसलिए सभी छात्र एक जैसे दिखेंगे और छात्रों के बीच कोई भेदभाव नहीं होगा.

विपक्ष ने कहा कि सरकार का ध्यान राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर होना चाहिए. कांग्रेस प्रवक्ता कुणाल चौधरी ने कहा, “बीजेपी सरकार ने कर्नाटक से कुछ नहीं सीखा है, जहां उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले हिजाब पर प्रतिबंध को एक बड़ा मुद्दा बनाया और चुनाव हार गए. अब, वे ड्रेस कोड जैसे मुद्दे लाकर छात्रों को शिक्षा और रोजगार की मांग से भटका रहे हैं.”