दुर्ग जिला प्रशासन लोगों को हर स्थिति में पेयजल सुलभ कराना चाहता है। यदि किसी क्षेत्र में पेयजल की समस्या हो तो लोग इसकी शिकायत घर बैठे फोन पर कर सकते हैं। इसके लिए जिला प्रशासन ने टोलफ्री नंबर 07882323633 जारी किया है।
दुर्ग जिले में सभी जगह पेयजल के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है। जिले के तीनों विकासखंड दुर्ग, धमधा और पाटन की बात करें तो यहां के 385 गांव में 5352 विभागीय हैंडपंप, 203 नलजल योजना, 38 स्थल जल योजना, 1223 सिंगल फेस पंप और 673 विभागीय सोलर पंप संचालित हैं। जिला प्रशासन ने इन सभी जगहों पर ग्रीष्म काल में संभावित पेयजल जल समस्या से निपटने के लिए पूरी तैयारी की हुई है।
इस साल जिले में पेयजल संकट से निपटने के लिए 561.16 लाख रुपए की कार्ययोजना तैयार की गई है। इसके तहत पेयजल समस्या वाले गांव में नए नलकूपों का खनन, हाइड्रोफेक्चरिंग, सिंगलफेस पावरपंप स्थापना, एकस्ट्राडीपवेल सिलेंडर, राइजर पाइप बढ़ाने व बदलने का प्रावधान रखा गया है। इसके साथ ही सभी पेयजल योजनाओं को चालू रखने हेतु विशेष अभियान चलाया जा रहा है। नलजल एवं स्थल जल योजनाओं के रखरखाव और संचालन के लिए ग्राम पंचायतों को राशि दी गई है।
पीएचई विभाग ने पिछले कुछ सालों में गर्मी के मौसम का डाटा एकत्र कर उन गांव व क्षेत्र को चिन्हांकित किया है, जहां पर पेयजल संकट अधिक होता है। ऐसे संभावित पेयजल समस्या वाले 99 ग्रामों को चिन्हित किया गया है। इसमें से सर्वाधिक पेयजल संकट वाले गांव 22 हैं। जिन 99 गांव को चिन्हांकित किया गया है वहां पेयजल के लिए 1583 हैंडपंप, 52 नल जलयोजना, 11 स्थल जल योजना, 406 सिंगल फेस पंप, 105 सोलर पंप लगाए गए हैं। वहीं सर्वाधिक पेयजल संकट वाले 22 गांव में 343 हैंडपंप, 7 नल जल योजना, 5 स्थल जल योजना, 99 सिंगल फेस पंप और 23 सोलर पंप योजना की सुविधा दी गई है।
पीएचई विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस साल भू गर्भ जल के स्तर में गिरावट दर्ज की गई है। इस साल भूगर्भ का जल स्तर 20.33 मीटर दर्ज किया गया है। यह पिछले साल की तुलना में 0.61 मीटर कम है।