बेंगलुरू में पहले पानी की किल्लत, अब बारिश ने मचाई तबाही, सिलिकॉन सिटी का ये हाल?

सिलिकॉन सिटी बेंगलुरू पिछले 30-35 सालों में आईटी हब बन गया. शहर का विकास तो तेजी से हुआ, लेकिन शहर पर पानी हर साल कहर बरपाता है. कभी किल्लत होती है, तो कभी तेज बारिश से पूरा शहर पानी-पानी हो जाता है. समुद्र तट से 3 हजार फीट ऊपर बसा ये शहर हर साल गर्मियों में पानी के लिए तरसता है और बारिश के मौसम में वॉटर लॉगिंग की समस्या से जूझता है. पिछले दिनो हुई तेज बारिश ने पूरे शहर की हालत बिगाड़ दी. सोमवार सुबह बारिश की वजह से कई इलाकों में सड़कों पर घुटनों तक पानी भर गया. गलियां पानी से लबालब हो गईं और निचले इलाके भी पानी से तरबतर हो गए हैं करीब एक करोड़ 40 लाख की आबादी बाले बेंगलुरू में पिछले साल ही पानी की भारी किल्लत हो गई थी. हालत इतने खराब हो गए थे कि पानी की कमी की वजह से बच्चों के स्कूल तक की छुट्टी करनी पड़ी. लोगों को ऑफिस आने के लिए मना कर दिया गया था. हर साल गर्मी शुरू होते ही यहां की हालत खराब हो जाती है.रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले कुछ सालों में शहर की 40 फीसदी आबादी को पानी मिलना मुश्किल हो जाएगा.

बेंगलुरू कभी हजार झीलों का शहर हुआ करता था, लेकिन तेजी से होते शहरीकरण की वजह से आज वहां की ज्यादातर झीलों पर इमारतें खड़ी कर दी गईं और कई सूख गई हैं. बेंगलुरु की विशाल झीलों का निर्माण 16वीं शताब्दी में शहर के संस्थापक केम्पे गौड़ा ने करवाया था, उन्होंने शहर और आसपास के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर जल संचयन परियोजनाएं शुरू कीं, गौड़ा ने अपने शासनकाल में टैंकों और सिंचाई कुओं का जाल बिछाया और झीलों को आपस में जोड़कर पानी की बचत और उनके इस्तेमाल की व्यवस्था की. 20वीं सदी के मध्य तक बेंगलुरु में 262 झीलें ही रह गईं. लेकिन वक्त के साथ ये भी तेजी से घटीं. बड़े-बड़े अपार्टमेंट, आईटी पार्क और सड़कें बनाने के लिए झीलों को पाट दिया गया.

सत्तर के दशक के दौरान झीलों को भरकर कई बड़ी जगहें बनाई गईं, जैसे कोरमंगला झील स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में बदल गई और संपांगी झील की जगह आज कांतीरवा स्टेडियम है. जो झीलें बाकी रहीं, उनमें भी जान नहीं थी. शहर में अब 44 से भी कम झीलें बची हैं.

आखिर क्यों हुआ इस शहर का ऐसा हाल? एक्सपर्ट बताते हैं कि अगर बारिश के इस पानी को बचा लें तो झीलों को दोबारा जिंदा किया सकता है, जिससे काफी हद तक पानी की समस्या दूर की जा सकती है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *