छत्तीसगढ़ के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के झीरम घटना को लेकर दिए गए बयानों का पलटवार किया है। लखमा ने कहा कि, अजय चंद्राकर को कोई पूछता नहीं है। इसलिए मीडिया में आने के लिए ये कुछ भी बयान देते रहते हैं। छत्तीसगढ़ में मुझे मंत्री बनाया गया है। इसलिए उनके पेट में दर्द है। यदि उनमें थोड़ी बहुत भी इज्जत है तो पहले ये बताए कि झीरम घटना के समय किसकी सरकार थी? नेताओं को सुरक्षा क्यों नहीं दी गई? सजा तो इन्हें मिलनी चाहिए।
आबकारी मंत्री कवासी लखमा बीजापुर के दौरे पर हैं। लखमा ने बीजापुर में मीडिया से चर्चा की। उन्होंने कहा कि, आज छत्तीसगढ़ में जब हमारी सरकार है तो पूर्व मंत्री केदार कश्यप, महेश गागड़ा जहां भी जाते हैं हम उन्हें सुरक्षा देते हैं। लेकिन जब भाजपा की सरकार थी तब हमारे नेताओं को सुरक्षा नहीं दी गई थी। झीरम में 4-4 घंटे तक हमारे नेता तड़पते रहे। लखमा ने कहा कि, क्या उस समय वहां पुलिस को जाने से मैंने रोका था? क्या उस समय हमारी सरकार थी?
आबकारी मंत्री का कहना है कि, अजय चंद्राकर को कोई भाव नहीं देता है। वो चुनाव हारने वाले हैं। इसलिए दिमाग का उयोग कर बयानबाजी कर रहे हैं। लखमा का कहना है कि, सुरक्षा के लिए DGP को भी पत्र लिखा गया था। झीरम घटना के समय मुख्यमंत्री रहे डॉ रमन सिंह और उनके मंत्री मंडल से भी पूछताछ करनी चाहिए, कि आखिर क्यों सुरक्षा नहीं दी गई थी?
फर्जी एनकाउंटर पर बोले- नहीं होनी चाहिए ऐसी घटना
कवासी लखमा से जब पूछा गया कि, बस्तर में फर्जी एनकाउंटर कब बंद होगा? तो उन्होंने इसका जवाब देते कहा कि, ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए। एडसमेट्टा, सारकेगुड़ा, पोंजेर में हुई घटना और आज की स्थिति में जमीन-आसमान का फर्क है। घटनाओं में कमी आई है।
अजय चंद्राकर ने दिया था बयान
अजय चंद्राकर ने गुरुवार काे मीडिया से कहा था- देखिए झीरम की जांच और सत्य तो सामने है। जांच आयोग बनाने की जरूरत ही नहीं है। कांग्रेस को राजनीति करनी है। जांच की रिपोर्ट सही समय में आएगी तो कांग्रेस राजनीति किस मुद्दे पर करेगी, और जितने भी जांच आयोग और कमेटी बनी कभी किसी की रिपोर्ट नहीं आई। शराबबंदी की रिपोर्ट, स्काय वॉक की रिपोर्ट नहीं आई। किसी की रिपोर्ट नहीं आई।
चंद्राकर ने कहा कि कांग्रस सरकार में मंत्री झीरमकांड के प्रत्यक्षदर्शी हैं। उनसे इस्तीफा दिलवाकर पूरी पूछताछ करनी चाहिए। क्या घटना घटी है, पूछ लें, और क्या जानना है, नाटक क्यों कर रहे हैं । कवासी लखमा प्रत्यक्षदर्शी हैं, घटना में शामिल हैं, वो जिसे दोषी बताएं उसे फांसी पर चढ़ा दें, मुझे दोषी बताएं तो मुझे फांसी पर चढ़ा दें, झीरम मामले में। कवासी लखमा से तो रोज पूछताछ होनी चाहिए। जो लोग मारे गए झीरम कांड में उनके परिवार को क्या मिला कांग्रेस राज में, जांच के नाम पर हम न्याय दिलाएंगे एक शब्द ही मिला है।
CM ने दिया जवाब
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अजय चंद्राकर के इस बयान पर कहा कि कहा- तैयार हैं, जांच चाहते हैं तो NIA की जांच वापस करा दें। आयोग फैक्ट फाइंडिंग नहीं करती है। CBI, NIA पुलिस करती है। जांच सही में चाहते हैं तो एनआईए की जांच हमें वापस करा दें, यहां गृहमंत्री आए तो हमनें मांग किया, होम मिनिस्ट्री को पत्र लिखा, जांच चाहते हैं अच्छी बात है नार्को टेस्ट हो जाए रमन सिंह का, मुकेश गुप्ता (पूर्व IG), मंत्रियों का, कवासी लखमा का भी टेस्ट होगा कोई दिक्कत नहीं मगर तैयार तो हों जांच के लिए।
6 महीने बढ़ा आयोग का कार्यकाल
झीरम कांड जांच में हुए घटना की जांच के लिए गठित आयोग का कार्यकाल 6 महीने के लिए फिर बढ़ा दिया गया है। आयोग ने राज्य सरकार को बताया था कि जांच अभी अधूरी है। इसे देखते हुए कार्यकाल बढ़ाए जाने की जरूरत है। इसके बाद राज्य सरकार ने आयोग का कार्यकाल 10 अगस्त 2023 तक के लिए बढ़ा दिया है।
25 मई 2013 को बस्तर के झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में हमला कर 32 नेताओं और सुरक्षाकर्मियों की हत्या की थी। घटना के बाद तत्कालीन भाजपा सरकार ने जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग का गठन किया था। उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी थी। इस पर कांग्रेस ने सवाल उठाए थे। विवाद के बाद जांच में नए बिंदु जोड़ते हुए नवंबर 2021 में सेवानिवृत न्यायाधीश सतीश अग्निहोत्री और जस्टिस मिन्हाजुद्दीन को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
कब, कैसे हुआ था झीरम कांड
साल 2013। छत्तीसगढ़ में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने थे। पिछले 2 चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी और रमन सिंह मुख्यमंत्री थे। 10 सालों से सत्ता से दूर कांग्रेस इस बार जीतने के लिए पूरा जोर लगा रही थी। इसी कड़ी में कांग्रेस ने पूरे राज्य में परिवर्तन यात्रा निकालने की तैयारी की। 25 मई के दिन कांग्रेस ने सुकमा में परिवर्तन रैली आयोजित की।
रैली खत्म होने के बाद कांग्रेस नेताओं का काफिला सुकमा से जगदलपुर जा रहा था। काफिले में करीब 25 गाड़ियां थीं जिनमें 200 नेता सवार थे। सबसे आगे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल और कवासी लखमा अपने-अपने सुरक्षा गार्ड्स के साथ थे। इनके पीछे महेन्द्र कर्मा और मलकीत सिंह गैदू की गाड़ी थी। इस गाड़ी के पीछे बस्तर के तत्कालीन कांग्रेस प्रभारी उदय मुदलियार कुछ अन्य नेताओं के साथ चल रहे थे। देखा जाए तो छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सभी टॉप नेता इस काफिले में शामिल थे।
शाम करीब 4 बजे काफिला झीरम घाटी से गुजर रहा था। यहीं पर नक्सलियों ने पेड़ों को गिराकर रास्ता बंद कर दिया। गाड़ियां रुकीं और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, पेड़ों के पीछे छिपे 200 से ज्यादा नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। नक्सलियों ने सभी गाड़ियों को निशाना बनाया। नंदकुमार पटेल और उनके बेटे दिनेश की मौके पर ही मौत हो गई। करीब डेढ़ घंटे तक फायरिंग होती रही।
शाम के करीब साढ़े 5 बजे नक्सली पहाड़ों से उतर आए और एक-एक गाड़ी चेक करने लगे। जो लोग गोलीबारी में मारे जा चुके थे उन्हें फिर से गोली और चाकू मारे गए ताकि कोई भी जिंदा न बचे। जो लोग जिंदा थे उन्हें बंधक बनाया जा रहा था। इसी बीच एक गाड़ी से महेन्द्र कर्मा नीचे उतरे और कहा कि ‘मुझे बंधक बना लो, बाकियों को छोड़ दो’। नक्सलियों ने महेंद्र कर्मा की थोड़ी दूर ले जाकर बेरहमी से हत्या कर दी। हमले में 30 से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई। इसमें अजीत जोगी को छोड़कर छत्तीसगढ़ कांग्रेस के उस वक्त के अधिकांश बड़े नेता और सुरक्षा बल के जवान शहीद हुए।
जब नक्सलियों ने किया शव पर डांस
इस हमले का मुख्य टारगेट बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा थे। ‘सलवा जुडूम’ का नेतृत्व करने की वजह से नक्सली उन्हें अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानते थे। नक्सलियों ने उनके शरीर पर करीब 100 गोलियां दागीं और चाकू से 50 से ज्यादा वार किए। हत्या के बाद नक्सलियों ने उनके शव पर चढ़कर डांस भी किया था।