CGPSC के पूर्व चेयरमैन पर EOW में FIR.. टामन सोनवानी सहित कई अफसरों-नेताओं के नाम

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छत्तीसगढ़ : सीजीपीएससी की भर्ती घोटाले की जांच शुरू हो गई है। मामले में फंसे पीएससी के पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी, तत्कालीन सचिव व आइएएस जीवन किशोर ध्रुव, परीक्षा नियंत्रक सहित अन्य अफसरों और कांग्रेस नेताओं पर आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने अपराध दर्ज कर लिया है। इनके विरुद्ध धोखाधड़ी व आपराधिक साजिश से संबंधित विभिन्न धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है। विधानसभा चुनाव 2023 के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत तमाम नेताओं ने पीएससी घोटाले की जांच कराने की घोषणा की थी। सरकार बनने के बाद चार जनवरी 2024 को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राज्य सेवा परीक्षा 2021 की गड़बड़ी की जांच सीबीआइ से कराने का आदेश दिया था। राज्य निर्माण के बाद दूसरी बार इस संवैधानिक संस्थान की विश्वसनीयता कटघरे में है। इसके पहले 2003 की भर्ती परीक्षा भी विवाद में थी, उस समय एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने जांच की थी, मगर नतीजा सिफर ही रहा। अब इस मामले में ईओडब्ल्यू और सीबीआइ के निशाने पर टामन सिंह सोनवानी, सदस्य, पीएससी सचिव, परीक्षा नियंत्रक, सहायक परीक्षा नियंत्रक, राज्यपाल के सचिव, अन्य अधिकारी व नेता आ गए हैं।

आयोग की ओर से राज्य सेवा परीक्षा 2021 के अंतर्गत 12 विभागों के 170 पदों पर भर्ती के लिए 11 मई 2023 को चयन सूची जारी की गई थी। इसमें टाप-15 नामों में भाई-भतीजावाद का आरोप लगा है। 17 मई को भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास ने राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन को ज्ञापन सौंपकर पीएससी मामले की जांच कराने की मांग की थी। इसमें पीएससी के अध्यक्ष सोनवानी का नार्को टेस्ट कराने की मांग भी हुई थी। तब भाजपा के विधायक के रूप में वर्तमान मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने भी मेरिट सूची पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद कांग्रेस नेता विनोद तिवारी ने एसपी को पत्र लिखकर युवाओं को आंदोलन के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की थी। 18 मई और 19 जून को भाजयुमो ने पीएससी का घेराव व प्रदर्शन करके इसकी जांच कराने की मांग की थी।

भाजपा नेता व पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर ने इस मामले में हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें राजभवन के सचिव अमृत खलको के पुत्र-पुत्री के डिप्टी कलेक्टर पद पर चयन को लेकर प्रश्न खड़े किए गए थे। उन्होंने पीएससी अध्यक्ष सोनवानी व कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला के रिश्तेदारों के भी चयन पर प्रश्न खड़ा करते आरोप लगाया है कि पीएससी में जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों ने न सिर्फ रेवड़ियों की तरह नौकरियां नहीं बांटी, बल्कि इसकी आड़ में करोड़ों का भ्रष्टाचार किया गया। उनकी याचिका पर कोर्ट ने भी 18 अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर रोक लगाते हुए राज्य शासन को इसकी जांच पड़ताल करने के निर्देश दिया था। पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर ने भी इसे लेकर ईओडब्ल्यू से शिकायत की थी।

जिनके नाम सामने आए हैं, उन्हें नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। इसके बाद बयान दर्ज होगा। ईओडब्ल्यू जल्द ही इनकी गिरफ्तारी कर सकती है। कांग्रेस शासनकाल में सीजी पीएससी के खिलाफ करीब दो वर्षों में 48 शिकायतें हुई हैं। ये शिकायतें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राज्य गृहमंत्री और मुख्य सचिव तक पहुंची है। अधिकांश शिकायतें राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से की गई है। इनमें रिश्तेदारों को नौकरी देने से लेकर परीक्षा में अनियमितता व भ्रष्टाचार, फर्जीवाड़ा, परिणाम में गड़बडी, पक्षपातपूर्ण कार्य के आरोप लगाए गए हैं।